Last Updated:February 08, 2025, 15:06 IST
Guillain-Barre Syndrome Vaccine: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का कहर थम नहीं रहा है. मुंबई में जीबीएस का एक संदिग्ध मरीज मिला है. राज्य में अब तक 180 मरीज मिल चुके हैं और 6 लोगों की इस बीमारी से मौ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
- अब तक राज्य में इस बीमारी के चलते 6 लोगों की मौत हो चुकी है.
- डॉक्टर की मानें तो जीबीएस से बचने की अभी कोई वैक्सीन नहीं है.
Is GBS Vaccine Available successful India: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का मुंबई में एक संदिग्ध मरीज मिलने से हड़कंप मच गया है. जीबीएस ब्रेन से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. अब तक महाराष्ट्र के पुणे और इसके आसपास के इलाकों में जीबीएस के केस मिल रहे थे, लेकिन अब राज्य की राजधानी मुंबई में मरीज मिला है. इसी के साथ महाराष्ट्र में जीबीएस के मामलों की संख्या बढ़कर 180 हो गई है. इनमें से 146 मरीजों में जीबीएस की पुष्टि हो चुकी है. इस बीमारी के चलते अब तक कुल 6 लोगों की मौत भी हो चुकी है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जीबीएस के 58 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं और 22 वेंटिलेटर पर हैं.
नोएडा के मेट्रो हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. नीरज कुमार ने News18 को बताया कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) नर्वस सिस्टम से जुड़ा एक रेयर डिसऑर्डर है, जो इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी होने से पैदा होता है. कई मामलों में वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद भी जीबीएस की कंडीशन आ सकती है. अगर गुइलेन-बैरे सिंड्रोम की वैक्सीन की बात करें, तो इस बीमारी की रोकथाम के लिए अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसका सही ट्रीटमेंट किया जा सकता है. कुछ दवाएं और थेरेपी के जरिए जीबीएस से रिकवरी हो सकती है. सही समय पर इलाज न हो, तो मौत भी हो सकती है.
डॉक्टर नीरज कुमार की मानें तो गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज करने के लिए 2 तरीके अपनाए जाते हैं. लोगों को इस बीमारी के ट्रीटमेंट में इंजेक्शंस लगाए जाते हैं. दूसरा तरीका प्लाज्मा फेरेसिस होता है. GBS से पीड़ित मरीजों को बॉडी वेट के हिसाब से लगातार 5 दिनों तक इंजेक्शंस लगाए जाते हैं. एक दिन में मरीज के वजन के अनुसार करीब 4 से 6 इंजेक्शन लगाए जाते हैं. प्लाज्मा फेरेसिस डायलिसिस जैसा होता है. यह ट्रीटमेंट करीब 10 दिनों तक चलता है. यह बीमारी शुरुआत में 2 से 3 हफ्ते तक बढ़ती है और ट्रीटमेंट के बाद रिकवर होने में करीब 3-4 हफ्ते का समय लगता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों को सही ट्रीटमेंट मिल जाए, तो करीब 60 से 70 पर्सेंट मरीज पूरी तरह रिकवर हो जाते हैं. एक महीने के अंदर बेहतर ट्रीटमेंट से इस समस्या से निजात मिल जाती है. हालांकि कुछ मरीजों की कंडीशन बिगड़ जाती है, तब उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है. सीवियर केसेस में GBS से मौत भी हो जाती है. इस बीमारी को लेकर लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए और किसी तरह के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच करवानी चाहिए.
First Published :
February 08, 2025, 15:06 IST