महाकुंभ का पर्व फरवरी की 26 तारीख तक चलेगा। पहला अमृत स्नान हो चुका है। इस दौरान नागा साधुओं ने पहले स्नान किया था। ऐसे में स्नान से पहले उन्होंने अपने एक देव की पूजा की थी, आइए जानते हैं कौन हैं वो...
महाकुंभ का आयोजन बड़े धूम-धाम से हो रहा है। महाकुंभ में सबसे ज्यादा महत्व अमृत स्नान को दिया जाता है। पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को हो चुका है, जिसमें 3.5 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई थी। अब 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान है, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि 8 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर सकते हैं। बता दें कि नागा साधुओं को अमृत स्नान में पहले स्नान करने का हक प्राप्त है। ऐसे में दूसरे अमृत स्नान में भी नागा साधु पहले स्नान करेंगे। ऐसे में स्नान से पहले नागा साधु अपने देवता की पूजा करते हैं...
नागा साधुओं के हैं 13 अखाड़े
महाकुंभ में नागा साधुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। नागाओं के 13 अखाड़े महाकुंभ में शिविर लगाकर अपनी धूनी रमाए हुए हैं। महाकुंभ में नागा साधु अक्सर चर्चा का केंद्र रहते हैं। लोगों को इनके रहस्यमयी जीवन के बारे में जानने की हमेशा उत्सुकता बनी रहती है। किसी को नहीं पता होता कि महाकुंभ में ये कहां से आते हैं और शाही स्नान खत्म होते ही यह न जाने कहां चले जाते हैं। कहा जाता है कि ये वन, गुफा और हिमालय तप करने चले जाते हैं। फिर यह महाकुंभ लगते ही आ जाते हैं।
स्नान से पहले नागा साधु किसकी करते हैं पूजा
मिली जानकारी के मुताबिक, नागा साधु अमृत स्नान से पहले अपने देव की पूजा करते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, नागा साधु अमृत स्नान से पहले अपने ईष्टदेव की पूजा करते हैं, इसके बाद ही वे स्नान करते हैं। हालांकि अलग-अलग अखाड़ों के अपने ईष्टदेव हैं। जूना अखाड़े के ईष्टदेव भैरव हैं, महानिर्वाणी अखाड़े के ईष्टदेव कपिल मुनि, निरंजनी अखाड़े के कार्तिकेय, अटल अखाड़े के ईष्टदेव हैं गणेश भगवान। ऐसे में अन्य अखाड़ों के ईष्टदेव हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)