Agency:News18 Haryana
Last Updated:January 22, 2025, 12:17 IST
Ambala News : अंबाला के मेजर योगेश गुप्ता 2002 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. उनके परिवार को उम्मीद थी कि भारत सरकार उन्हें सम्मानित करेगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ. उनके भाई ने ...और पढ़ें
2002 में शहीद हुए मेजर योगेश गुप्ता के भाई ने मांगा अधिकार बोले नहीं मिला कोई सम
अंबाला. देश की सीमाओं पर तैनात फौजियों की वजह से ही हम सभी लोग चैन की नींद सो पाते हैं. फौजियों को हम लोग रक्षक का दर्जा देते हैं. ऐसे ही एक कहानी अंबाला के बेटे मेजर योगेश गुप्ता की है. जो साल 2002 में वीर गति को प्राप्त हो गए, यानी शहीद हो गए थे. उनके शहीद होने की खबर से ही उनका पूरा परिवार टूट गया था. उन सभी पर दुखों का पहाड़ गिर गया. उनके शहीद होने के बाद जैसे-तैसे उनके परिवार वालों ने खुद को संभाला और यह उम्मीद जताई कि उनके बेटे की याद और सम्मान में उन्हें भारत सरकार की तरफ से मेडल देकर सम्मानित किया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
दरअसल, शहीद मेजर योगेश गुप्ता सन 1997 में फौज में शामिल हुए थे. साल 2002 में जम्मू कश्मीर में हुई मुठभेड़ में वह शहीद हो गए थे. उस दौरान फौज द्वारा जारी की गई कैजुअल्टी रिपोर्ट में यह लिखा हुआ है कि योगेश गुप्ता ने जम्मू कश्मीर में हुई मुठभेड़ में पहले दो आतंकवादियों को मारा ओर उसके बाद उन्हें गोली लग गई थी. लेकिन गोली लगने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और आतंकियों को मार कर गिरा दिया था. वह मौके पर ही वीरगति को प्राप्त हो गए थे.
मेजर के भाई ने बताया
उनकी कैजुअल्टी रिपोर्ट के अनुसार इस मुठभेड़ में कुल पांच आतंकवादियों को मारा गया था .वहीं जब इस बारे में लोकल 18 ने शहीद मेजर योगेश गुप्ता के भाई विकास गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि 2002 में हुई मुठभेड़ में उनके भाई शहीद हो गए. जिसके बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था और देश के लिए अपनी जान गवाने वाले शहीद मेजर योगेश गुप्ता का जब पार्थिव शरीर अंबाला उनके निवास पर पहुंचा था, तो फौज द्वारा कहा गया था कि उनके भाई की वीरता को देखते हुए उन्हें भारत सरकार द्वारा वीरता रत्न देकर सम्मानित किया जाएगा, लेकिन आज तक उनको कुछ नहीं मिला.
सरकार से की यह मांग
उन्होंने अपने शहीद भाई और माता-पिता के सम्मान को लेकर कहा कि देश की सीमा पर तैनात उनके भाई ने अपनी जान की परवाह किए बिना, आतंकियों को मारा और सरकार का जो फर्ज था उन्होंने वह नहीं निभाया. फिलहाल योगेश गुप्ता के भाई ने सरकार से यह मांग करते हुए कहा है कि उनके भाई का हक मिलना चाहिए और हर व्यक्ति को उनके भाई के बारे में पता लगना चाहिए, कि किस प्रकार उन्होंने वीरता से आतंकवादियों को ढेर किया था.
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उनके भाई को शहीद होने के 20 साल के बाद अंबाला में उनकी याद में एक छोटा सा स्टैचू बनाया गया है, लेकिन आज भी उनका वह सम्मान बाकी है. उन्हें सम्मान न मिलने के गम में उनके माता-पिता ने भी दुनिया छोड़ दी, लेकिन आज भी एक भाई अपने शहीद भाई के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं.
First Published :
January 22, 2025, 12:17 IST