Agency:News18 Uttarakhand
Last Updated:January 22, 2025, 15:24 IST
Jaspal Rana Subhash Rana: जसपाल राणा और सुभाष राणा यानी अपने बेटों के पहले कोच भी वही रहे हैं, जिनसे उन्होंने निशानेबाजी का हर पैंतरा सीखा.
पैरा शूटिंग कोच सुभाष राणा को राष्ट्रपति के हाथों द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नवाजा गया.
देहरादून. एक खिलाड़ी की जितनी मेहनत हम मैदान में देखते हैं, उतनी ही मेहनत उसे तैयार करने में लगती है. कोच खिलाड़ी को परिपक्व करने में दिन-रात एक कर देते हैं, इसलिए ही भारत में खिलाड़ियों को तैयार कर उत्कृष्ट काम करने वाले गुरु को द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया जाता है. पेरिस में आयोजित पैरालंपिक 2024 में अवनी लेखरा ने गोल्ड मेडल जीता और उनकी इस जीत में उनके कोच सुभाष राणा की मेहनत भी थी. हाल ही में पैरा शूटिंग कोच सुभाष राणा को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इससे पहले उनके बड़े भाई जसपाल राणा को अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार और पद्मश्री पुरस्कार समेत कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. यही वजह है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के नैनबाग से ताल्लुक रखने वाले राणा ब्रदर्स की खूब चर्चा हो रही है.
द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित सुभाष राणा ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि वह आज जो कुछ भी हैं, अपने पिता और बड़े भाई की वजह से हैं. उनके पिता नारायण सिंह राणा भी शूटर रहे और उन्हें भी द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला था. उन्होंने 1967 में आईटीबीपी में सेवा दी. उनके पिता उत्तराखंड के खेल मंत्री भी रहे हैं. जसपाल राणा और सुभाष राणा यानी अपने बेटों के पहले कोच भी वही रहे हैं, जिनसे उन्होंने निशानेबाजी के गुर सीखे. सुभाष ने बताया कि उन्हें और उनके भाई को शूटिंग की कोई भी जानकारी नहीं थी क्योंकि हम गांव से निकलकर दिल्ली पढ़ने के लिए गए थे. हम दोनों भाइयों पर पिता ने बहुत मेहनत की. पिता का ट्रांसफर दिल्ली हुआ था, इसीलिए दोनों भाइयों को वहीं शिक्षा दी गई और पिता भी उन्हें शूटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहते थे. सुभाष राणा अपने पिता के योगदान को अमूल्य बताते हुए कहते हैं कि पिता ने भाई और उनके लिए अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि वह अपने बेटों को इस दिशा में आगे बढ़ा सकें. एक तरफ पिता का मार्गदर्शन तो दूसरी तरफ बड़े भाई यानी जसपाल राणा द्वारा बढ़ाया गया हौसला और टिप्स उनके बहुत काम आया.
बड़े भाई जसपाल से मिलती है प्रेरणा: सुभाष राणा
सुभाष राणा ने आगे कहा कि अक्सर छोटे भाई बड़े भाई के नक्शे-कदम पर चलते हैं. उनके बड़े भाई जसपाल राणा से उन्हें हमेशा जुनून के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. जिस तरह से वह मेहनत करते थे, वह भी उसी दमखम के साथ तैयारी में लगे रहते थे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1994 में हम दोनों भाइयों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए खेला था और साल 1998 में भी उन्होंने एक साथ एक टीम में खेला. पिता और भाई से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. उनका कहना है कि हम दोनों भाई एक साथ तैयारी करते थे और जिस तरीके से हमने एक साथ वक्त बिताया, उसे कभी नहीं बुलाया जा सकता है. उन्होंने जसपाल राणा को देखकर यह सीखा कि वह अपने खिलाड़ियों को कैसे तैयार करते हैं. सुभाष राणा का कहना है कि पैरा खिलाड़ी को तैयार करना बहुत चुनौतीपूर्ण है लेकिन उनमें भी सामान्य खिलाड़ियों की तरह जज्बा होता है. वह भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जी जान लगा देते हैं. एक कोच होने के नाते हमारे खिलाड़ियों की जीत ही हमारी जीत है.
मनु भाकर के कोच जसपाल राणा
बता दें कि ओलंपिक और पैरालंपिक में राणा ब्रदर्स की खूब चर्चा हुई क्योंकि ओलंपिक में जसपाल राणा के मार्गदर्शन में मनु भाकर ने दो मेडल जीतकर इतिहास रचा था जबकि पैरा शूटिंग कोच सुभाष राणा के मार्गदर्शन में पैरालंपिक में 10 मीटर राइफल स्पर्धा में अवनी लेखरा ने दो स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया. इस तरह बेहतरीन गुरुओं के रूप में राणा ब्रदर्स काम कर रहे हैं, जिनकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक 2020 में प्रतिभाग करने वाली निशानेबाजी टीम को भी सुभाष राणा ने प्रशिक्षण दिया था, जिसमें टीम पांच मेडल जीतकर लाई थी. उन्होंने सिर्फ अवनी लेखरा ही नहीं बल्कि मनीष नरवाल और सिंघराज अदना जैसे खिलाड़ियों के माध्यम से भारत को कई पदक दिलाए हैं.
Location :
Dehradun,Uttarakhand
First Published :
January 22, 2025, 15:24 IST
खेल जगत में छा गए 'राणा ब्रदर्स', सुभाष राणा को भी मिला द्रोणाचार्य अवॉर्ड