आवारा पशुओं और कीटों से फसलों को बचाता है यह पौधा, खेतों में लगाने के हैं लाभ

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रिपोर्ट- आशीष कुमार

पश्चिम चम्पारण: आवारा पशु देश भर के किसानों के लिए एक बड़ी समस्या हैं. किसान थोड़ा सा चूक जाएं तो ये अन्ना जानवर उनकी फसलों को तहस-नहस कर डालते हैं. चरने के साथ ही उनके रौंद कर बर्बाद कर देते हैं. केंद्र और राज्य सरकारों से किसान अपने स्तर पर कई बार अन्ना जानवरों के रोकथाम के लिए कह चुके हैं. अफसोस इस बात का है कि सरकारें किसानों की इस समस्या पर कोई खास ध्यान नहीं दे रही हैं. थोड़ा बहुत कुछ उपाय करती हैं जो कि बहुत प्रभावी नहीं मालूम पड़ती हैं.

जानकारों की मानें तो प्रकृति में एक ऐसा पौधा मौजूद है जिसको यदि खेतों की मेढ़ पर लगा दिया जाए तो दुनिया का कोई भी आवारा पशु इसे पार कर फसलों को बर्बाद करने की कोशिश नहीं करेगा. पिछले 25 वर्षों से कार्यरत कृषि एवं वानिकी विशेषज्ञ रविकांत ने बेहया के पौधे तथा उससे मिलने वाले लाभ पर विस्तृत जानकारी साझा की है.

कीटनाशक से लेकर खेत की घेराबंदी तक में कारगर 
रविकांत बताते हैं कि बेहया एक ऐसा पौधा है जो नदी नालों और सड़कों के किनारे बहुत सरलता से उग आते हैं. इन्हें न तो खाद की जरूरत पड़ती है और न ही उपजाऊ ज़मीन की. इनसे निकलने वाला रस जहरीला होता है. पुराने जमाने में इसके रस का उपयोग शिकार के समय तीर और भाले की नोक पर किया जाता था. वह तीर जिस इंसान या जानवर को लगता था पलक झपकते ही उसकी मौत हो जाती थी. आज भी बेहया के पौधों से निकले रस का उपयोग खेतों में कीटनाशक के रूप में और पौधे का उपयोग खेत की मेढ़ पर आवारा पशुओं को रोकने के लिए किया जाता है.

नहीं रहेगा किसी रोग का खतरा
फसलों पर इस कीटनाशक के छिड़काव से न तो कभी फंगस का खतरा रहेगा और न ही किसी अन्य रोग के होने की संभावना बनेगी. बेहया के एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबियल गुण फसलों को हर एक रोग से बचाने की क्षमता रखते हैं. इससे निकलने वाला तरल जहरीला होता है. यदि किसान इसे खेत की मेढ़ पर बड़ी मात्रा में लगा देते हैं तो वहां से कोई भी जानवर अंदर की तरफ घुसने की हिम्मत नहीं करेगा और फसल सही सलामत रहेगी.

ऐसे तैयार करें कीटनाशक
रविकांत बताते हैं कि कीटनाशक बनाने के लिए बेहया की टहनियों को छोटी-छोटी गुल्लियों में तोड़ लेना चाहिए. इसके बाद उसे पानी में अच्छी तरह से उबालना चाहिए. इस दौरान उस पानी में गुल्लियों के साथ बेहया की पत्तियों को भी मिला सकते हैं. तेज आंच पर करीब एक घंटे तक उबालने के बाद जब गाढ़ा अर्क बच जाए तब उसे डिब्बे में भरकर खेतों में छिड़काव करें. ध्यान रहे कि बेहया कि एक किलो गोलियों के लिए करीब 5 लीटर पानी का उपयोग करना चाहिए.

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FIRST PUBLISHED :

October 9, 2024, 18:43 IST

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