इस नक्षत्र में जन्में बच्चे देते हैं परिवार को कष्ट, जिंदगी में आती है परेशानी

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बच्चे के जन्म के 27 दिन बाद, विद्वान पंडित से मूल शांति करानी चाहिए

Gand Mool Nakshatra: बच्चों के जन्म के बाद ग्रह नक्षत्र का ख्याल रखना जरूरी होता है. तभी तो पेरेंट्स पंडीत से ये सारी जानकारी लेते हैं. लोकल 18 ने भी इस बारे में ज्योतिष अजय तैलंग से बात की. उन्होंने बताया कि गंडमूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं. अजय तैलंग का कहना है कि इस नक्षत्र में अधिकतर जो बच्चे जन्म लेते हैं, वह सोने के पैरों से जन्म लेते हैं जो कि परिवार के लिए थोड़ा कष्ट दाई साबित हो सकता है.

गंडमूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे
जातक के जन्म के समय जब चंद्रमा नीचे लिखे 6 नक्षत्रों में से किसी में भी रहा, तो उन लोगों का जन्म गंडमूल नक्षत्र के अन्तर्गत आता है. अश्विनी नक्षत्र (केतु), अश्लेषा नक्षत्र (बुध), मघा नक्षत्र (केतु), मूल नक्षत्र (केतु), ज्येष्ठा नक्षत्र (बुध), रेवती नक्षत्र (बुध), ऊपर लिखे नक्षत्र या तो बुध के हैं या फिर केतु के. ऐसी मान्यता है कि गंडमूल नक्षत्र में पैदा हुए जातक के जीवन में परेशानियां जरूरत से अधिक होती हैं. अलग-अलग नक्षत्रों में इसका अशुभ फल अलग-अलग होता है.

कब करवानी चाहिए पूजा
गंडमूल नक्षत्र में जन्मे बच्चों की जिंदगी में शांति रहे, इसके लिए जातक के जन्म के 27वें दिन कराई जाती है. यदि किसी कारणवश उस समय पूजा न भी हो पाए, तो किसी भी उम्र में इस पूजा को करवाया जा सकता है. शास्त्रों में भी यह पूजा निहित है. यह पूजा अपने घर अथवा मंदिर में भी की जा सकती है.

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ये उपाय भी होते हैं जरूरी
बच्चे के जन्म के 27 दिन बाद विद्वान पंडित से मूल शांति करवानी चाहिए. बच्चे के सिर के पास 27 दिनों तक रोज 27 मूली के पत्ते रखने चाहिए और फिर उन्हें बहते पानी में बहा देना चाहिए. बच्चे के पिता को 27 दिनों तक बच्चे का मुंह नहीं देखना चाहिए. बच्चे के जन्म के 27वें दिन गंडमूल शांति पूजा करनी चाहिए. इस पूजा के बाद, ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा देनी चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए. माता-पिता को एक महीने तक रोज सूर्योदय के समय कम से कम 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. बच्चे को जीवन में श्री गणेश जी की आराधना करानी चाहिए और उनके मंत्रों का जप करना चाहिए.

Tags: Dharma Aastha, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 20, 2024, 10:33 IST

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