एक बार लगाने के बाद महीनों उपज देती हैं मिर्च की ये किस्में, बनाती है मालामाल!

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Agency:News18 Uttar Pradesh

Last Updated:February 07, 2025, 15:10 IST

Bahraich: मोटा मुनाफा और कम लागत के कारण अब किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नगदी की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसी क्रम में बहराइच के ये किसान मिर्च की खेती करते हैं और बढ़िया कमाई भी कर रहे हैं.

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बाजारों

बाजारों में रहती है काफी डिमांड

हाइलाइट्स

  • किसान नगदी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं.
  • मिर्च की खेती से लाखों की आमदनी हो रही है.
  • अचारी और शिमला मिर्च की मांग हमेशा रहती है.

बहराइच. आजकल किसान पारंपरिक गेहूं और चावल की फसलों से हटकर नगदी फसलों की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. नगदी फसलों की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है. इसी कारण वे पारंपरिक खेती छोड़कर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर नगदी फसलों की खेती कर रहे हैं. इस प्रकार की खेती से पैदावार भी बढ़ती है और फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है.

एक फसल से लाखों की आमदनी!
बाराबंकी जिले के सहेलिया गांव के किसान लाल बहादुर यादव ने शिमला मिर्च और अचारी मिर्च की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया है. वे कई वर्षों से इन सब्जियों की खेती कर रहे हैं और वर्तमान में तीन बीघे में दो किस्मों की मिर्च उगा रहे हैं. उनकी एक फसल से डेढ़ से दो लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है.

15 साल से कर रहे हैं सब्जी की खेती
लाल बहादुर यादव ने बताया कि वे पिछले 15 सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसमें खीरा, फूलगोभी, टमाटर और शिमला मिर्च शामिल हैं. फिलहाल में उनके खेत में तीन बीघे में अचारी और शिमला मिर्च लगी हुई है. एक बीघे में खेती की लागत करीब 12 से 15 हजार रुपये आती है, जिसमें बीज, कीटनाशक, पानी और मजदूरी का खर्च शामिल है.

लेकिन मुनाफा प्रति फसल डेढ़ से दो लाख रुपये तक पहुंच जाता है. अचारी और शिमला मिर्च की खासियत यह है कि इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है, जिससे यह ऊंचे दामों में बिकती है. एक बार लगाने के बाद यह फसल पांच महीने तक उत्पादन देती है.

आसान है इसकी खेती
इसकी खेती की प्रक्रिया भी काफी आसान है. सबसे पहले बीज लाकर उसकी नर्सरी तैयार की जाती है. फिर खेत की गहरी जुताई कर उसमें गोबर की खाद मिलाई जाती है और बेड बनाकर पौधों की रोपाई की जाती है. रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई होती है. जब पौधे बढ़ने लगते हैं तो कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाता है और हल्की देखरेख की जरूरत होती है.

बहुत जल्द तैयार होती है फसल
रोपाई के 55 से 60 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है, जिसे बाजार में बेचा जाता है. लाल बहादुर यादव का कहना है कि नगदी फसलों की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक लाभदायक है और किसान इसे अपनाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. इनमें लागत कम लगती है, देखरेख भी कम है और मुनाफा मोटा होता है. बाजार में भी इनकी डिमांड बनी रहती है.

Location :

Bahraich,Uttar Pradesh

First Published :

February 07, 2025, 15:10 IST

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