150-Year-Old Kolkata Trams to Be Discontinued: कोलकाता में 1873 से जारी ट्राम सर्विस जल्द ही खत्म होने वाली है. पश्चिम बंगाल सरकार ने शहर में यातायात की बढ़ती चुनौतियों के कारण इस सेवा को बंद करने का फैसला लिया है. हालांकि, इसका एक रूट चालू रहेगा. भारत के ट्राम वाले आखिरी शहर कोलकाता में अब केवल एस्प्लेनेड और मैदान के बीच का रूट ही बना रह पाएगा. विक्टोरिया मेमोरियल जैसी जगहों से होते हुए एक सुंदर और मजेदार सफर में मैदान की हरियाली और क्रिकेट-फुटबॉल खेलते बच्चे आकर्षण को और ज्यादा बढ़ाते हैं.
सरकारी फैसले से ऑनलाइन यूजर्स के बीच गहरी निराशा
इस सरकारी फैसले ने ऑनलाइन यूजर्स के बीच गहरी निराशा पैदा कर दी है. कई लोगों ने परिवहन के ऐसे ऐतिहासिक जरिए के खत्म होने पर शोक जताया है. हालांकि, यह एक युग का अंत है, लेकिन पैसेंजर अभी भी इमारती लकड़ी की बेंचों पर बैठकर सवारी करने और ट्राम की धीमी गति को महसूस करने के अहसासों का आनंद ले सकते हैं. सफेद और नीले रंग की ट्राम गाड़ियां बंगालियों के दिलों में एक खास जगह रखती हैं. कोलकाता शहर की पहचान का यह एक अनूठा हिस्सा भी हैं.
यहां देखें पोस्ट
End of an Era????.. Kolkata Tram ???? 151-Year Legacy Comes to an End..
As the curtains gully connected this iconic chapter, we bid farewell to a portion of history. ????????Future generations volition lone cognize the Tram ???? done faded photographs and nostalgic tales. RIP Kolkata Trams???? pic.twitter.com/65dtApedLI
'हम इतिहास के एक हिस्से को अलविदा कह रहे हैं'
सोशल मीडिया पर एक यूजर ने दुख जताते हुए लिखा, "एक युग का अंत.. कोलकाता ट्राम की 151 साल पुरानी विरासत का अंत हो गया.. इस प्रतिष्ठित चैप्टर के खत्म होने के साथ ही हम इतिहास के एक हिस्से को अलविदा कह रहे हैं. आने वाली पीढ़ियां ट्राम को सिर्फ फीकी तस्वीरों और पुरानी यादों की कहानियों के जरिए ही जानेंगी. RIP कोलकाता ट्राम."
'कोलकाता की सड़कों पर उसे याद किया जाएगा'
दूसरे यूजर ने लिखा, "कोलकाता में 150 साल की विरासत ट्रांसपोर्ट ट्राम बंद कर दी गई. कोलकाता की सड़कों पर उसे याद किया जाएगा." तीसरे यूजर ने कमेंट किया, "विरासत और स्थिरता की प्रतीक कलकत्ता की सदियों पुरानी ट्राम प्रणाली को बंद करने के लिए सत्ताधारियों को बधाई. इसे आधुनिक बनाने के बजाय, उन्होंने इसे खत्म होने दिया. जब आप इसे मिटा सकते हैं तो इतिहास को संरक्षित क्यों करें? जब अराजकता ही सबसे ऊपर है तो पर्यावरण के अनुकूल ट्रांसपोर्ट की क्या जरूरत है? कोलकाता की आत्मा का एक और टुकड़ा, बिना किसी दूसरे विचार के त्याग दिया गया."
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