ऐसा तीर्थ जहां सूर्य और चंद्र देव ने भी की तपस्या, विस्तार से जानें इसकी महिमा

1 hour ago 1
श्रष्टि का उदगम स्थल है सोरों जी.श्रष्टि का उदगम स्थल है सोरों जी.

Soron Shukar Kshetra: जनपद कासगंज का शूकर क्षेत्र सोरों पूर्व में वाराह क्षेत्र के रूप में प्रचलित था. भगवान वराह के पुण्य प्रभाव से इस स्थान को विश्व संस्कृति के उद्गम स्थलों में से एक माना गया है. बात उस समय की है, जब दैत्यराज हिरण्याक्ष पृथ्वी को जल के अंदर ले गया. तब उसके उद्धार हेतु भगवान ने वराह रूप में लीला करने का निश्चय किया. पृथ्वी के पुनर्संस्थापन के उपरांत पृथ्वी को ज्ञानोपदेश एवं अपनी वराह रूपी देह का विसर्जन परमात्मा ने जिस पुण्य क्षेत्र में किया वह स्थान आज भी सोरों (शूकर क्षेत्र) के नाम से जन-जन की श्रद्धा के केंद्र के रूप में विद्यमान है.

सोलंकी वंश के शासकों ने इसका नामकरण शूकर क्षेत्र सोरों के रूप में किया, तभी से यह क्षेत्र शूकर क्षेत्र सोरों के नाम से अपनी पहचान बनाये हुए है. सोरों में हरि की पौंडी सूर्य कुंड, भागीरथी गुफा, नरहरिदास पाठशाला समेत अनेक पौराणिक स्थल विद्यमान हैं. यहां स्थित सूर्यकुंड पर तकरीबन 60 हजार वर्ष पूर्व भगवान सूर्य ने तपस्या की थी. दुनिया में चार प्रकार के वट वृक्ष शास्त्रों में वर्णित हैं, जिसमें अक्षय वट प्रयागराज में है, तो वहीं सोरों के लहरा रोड पर सिद्धि वट है.

Vastu for Baby: अगर घर की इस दिशा में है वास्तु दोष तो संतान प्राप्ति में होगी बाधा, जानें इसके आसान उपाय

भगवान सूर्य देव ने की तपस्या : वराह पुराण के अनुसार यहां भगवान सूर्य ने पुत्र की कामना से तप किया. बाल स्वरूप भगवान नारायण ने सूर्य की तपस्या से खुश होकर एक पुत्र यम एवं की एक पुत्री यमी (यमुना) नामक जुड़वा संतान प्रदान की.

भगवान चंद्रदेव ने की तपस्या : भगवान चंद्रदेव ने अपने शाप से मुक्त होने के लिए इस पावन धरा पर सहस्रों वर्ष कभी शिरोमुख कभी अधोमुख नाना प्रकार से तपस्या की थी तो भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें न केवल शापमुक्त किया वरन यह वर दिया कि हे चंद्र! तुम्हारी साधना के प्रभाव से वर्ष में एक दिन यहां का जल दूध का रूप ले लेगा एवं जगविख्यात होगा. आज भी चैत्र शुक्ला नवमी को यहां स्थित कूप का जल दूध का रूप ले लेता है

Vastu Pyramid Benefits: घर में है वास्तु दोष या काम में नहीं मिल रही सफलता, वास्तु पिरामिड से बदलेगी किस्मत! जानें 10 उपाय

सोमतीर्थ भी है सोरों जी : हरिपदी गंगा के उत्तर पूर्व में सोमतीर्थ नामक पवित्र स्थान है. वराह प्रमाण में वर्णित है कि यहां चंद्रमा ने कई हजार वर्षों तक अत्यंत कष्ट साध्य तपस्या की. यही कारण रहा कि इसे सोमतीर्थ के नाम से भी जाना गया है. तीर्थ महात्म के अनुसार जो व्यक्ति भक्ति पूर्वक इस तीर्थ में 8 दिनों तक उपवास एवं गंगा स्नान करता है उसे अभीष्ट फल प्राप्त होता है. बताया जाता है कि वैशाख मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी को अंधकार के बीच सोमतीर्थ का स्थान दिखाई देता है. बताया जाता है कि इस तीर्थ के प्रभाव से राजा सेामदत्त के वाणों से आहत श्रंगाली ने अपने प्राणों को त्यागकर कांङ्क्षत देश के राजा की पुत्री के रूप में जन्म लिया. फिर पुन: यहां आकर निवास किया और मोक्ष को प्राप्त किया.

Tags: Dharma Aastha, Dharma Granth, Kasganj news, Lord vishnu

FIRST PUBLISHED :

November 26, 2024, 10:02 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article