Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:February 12, 2025, 13:39 IST
Ujjain News : अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश शर्मा ने एक पत्र CM को लिखा है. जिसमें उनका मानना है कि प्रयागराज कुंभ में जो हादसा हुआ है. वैसा ही उज्जैन में ना हो इसके लिए उन्होंने पत्र के म...और पढ़ें
सिहस्थ 2028 तैयारी
हाइलाइट्स
- अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने CM को सिंहस्थ 2028 के लिए सुझाव दिए.
- महासंघ ने वीआईपी एंट्री बैन करने और स्नान के लिए अलग घाट तय करने की मांग की.
- महासंघ ने शंकराचार्यों को रामघाट पर स्नान की अनुमति देने का सुझाव दिया.
शुभम मरमट / उज्जैन: धार्मिक नगरी उज्जैन मे सिंहस्थ (कुंभ) 2028 लगने में अब केवल तीन साल का समय बचा हुआ है.जिसके लिए प्रशासन जोरों से तैयारी करते हुए नज़र आ रहा है. लेकिन प्रयागराज में हुए गंभीर हादसे के बाद यहां सुरक्षा को लेकर लोग चिंतित हो रहे हैं. यही वजह है कि अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने सिंहस्थ में वीआईपी एंट्री को बैन करने के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र भेजा है.
2028 मे उज्जैन मे उमड़ेगा आस्था का सैलाब
बाबा महाकाल कि नगरी जिसे धार्मिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है. हर 12 वर्ष के अंतराल पर यहां महाकुंभ सिंहस्थ का भी आयोजन होता है. इसमें करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु मोक्ष की कामना से शिप्रा नदी में स्नान करने आते हैं. अगला सिंहस्थ 2028 में होगा. उसमें 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान शासन-प्रशासन ने लगाया है.
पेशवाई में ना करें प्रर्दशन
पुजारी महासंघ अध्यक्ष और महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि साधु संत जैसे ही नगर मे प्रवेश करते है. स्नान के पहले धूमधाम से अपनी पेशवाई निकालते है. और अपनी शक्ति का पर्दशन करते है. वो प्रदशन जरूर करे. लेकिन स्नान वाले दिन वो शांति से आकर स्नान करे. जिससे आम श्रद्धांलुओ को उनका दर्शन भी हो और व्यवस्था ना बिगड़े. बता दे कि कुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. तब क्षिप्रा के हर घाट को रामघाट के रूप में प्रचारित कर श्रद्धालुओं को वहीं स्नान की अपील की जाती है,जबकि तेरह अखाड़े वैभव प्रदर्शन करते हुए रामघाट जाकर स्नान करते हैं. उस दौरान श्रद्धालुओं को नदी क्षेत्र में जाने से रोक दिया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ता है और भगदड़ या हादसों की आशंका उत्पन्न होती है.
निश्चित हो अखाड़ों के स्न्नान के घाट
अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने कहा कि जब क्षिप्रा सभी स्थानों पर पवित्र मानी गई है.तो रामघाट पर स्नान करने कि जीद क्यों. उन्होंने पत्र के माध्यम से यह भी कहा कि तेरह अखाड़ों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित किए जाने चाहिए. संबंधित अखाड़ों के साधु-संत वहां स्नान करें.अखाड़ों का स्नान होने के बाद आम श्रद्धालुओं के लिए घाट खोल दिए जाएं. यदि सरकार उपरोक्त सुझावों को सिंहस्थ 2028 में लागू करती है, तो निश्चित ही निर्विघ्न रूप से सिंहस्थ सफल होगा.
रामघाट पर शंकराचार्य स्नान
मोक्षदायनी मां शिप्रा जहां तक प्रभावित होती है. वहा का हर घाट एक पवित्र है. लेकिन रामघाट कि मान्यता और अधिक बड़ जाती है. पुजारी महासंघ ने यह कहा यह घाट पर जो चार शंकराचार्यजी है. उन्हें स्नान करने दिया जाए. बाकि साधु संत उनके निर्धारित करे स्नान पर स्नान करेंगे. तो व्यवस्था बहुत अच्छी होंगी. ना कोई भगदड का डर रहेगा. ना ही व्यवस्था बिगड़ेगी साथ ही साधु, संत के एक समय भी स्नान का निर्धारित कर दिया जाए. जिससे आम श्रद्धालूओ भी हर घाट पर अमृत स्नान वाले दिन स्नान कर सके.
Location :
Ujjain,Madhya Pradesh
First Published :
February 12, 2025, 13:39 IST
ऐसे करें तैयारी...2028 में नहीं होगी महाकुंभ जैसी दुर्घटना, CM को लिखा पत्र