जानकारी देते कृषि वैज्ञानिक
सीतामढ़ी. अगर आप भी तिलहनी फसल की खेती करने वाले किसान हैं और सरसों की खेती से कम लागत में बेहतर मुनाफ कमाना चाहते हैं तो ये खबर आपके के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. दरअसल, सरसों रबी की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में एक माना जाता है. खासकर बिहार के सीतामढ़ी में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.
इसके बीजों में तेल की मात्रा तकरीबन 30 से 48 प्रतिशत तक पाई जाती है. जिससे इस फसल का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता है. ठंड के मौसम में सरसों की खेती करना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. हर तरह की मिट्टी में इसकी खेती संभव है. हालांकि, बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है.
सरसों की है ये बेस्ट वैरायटी
सीतामढ़ी कृषि विज्ञान केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. सचिदानंद प्रसाद ने लोकल 18 को बताया कि तिलहन की खेती करना चाहते हैं तो अभी बेहतर समय है. अभी रबी के समय में मुख्य रूप से सरसों की खेती करते हैं, जो हमारे सीतामढ़ी जिले के लिए काफी बेहतर है. इसमें हमें अच्छी प्रजाति का चयन कराना आवश्यक है. इसके अंतर्गत कई प्रजातियां हैं जिसमें राजेंद्र सुफलाम, आरजीएल 48 प्रजाति, आरएच 761 शामिल है. ये जो प्रजाति अधिक उपज देने वाली है. इन सबों का उपज प्रति एकड़ 7 से 8 क्विंटल होता है. अगर आप 1 नवंबर से 30 नवंबर तक सरसों की बुआई कर लेते हैं तो निश्चित रूप से उत्पादन बेहतर प्राप्त होगा.
उपचारित कर सरसों की करें बुवाई
सीतामढ़ी कृषि विज्ञान केंद्र के शस्य वैज्ञानिक डॉ. सचिदानंद प्रसाद ने लोकल 18 को बताया कि किसान भाई बीज का उपचार अवश्य करें. बीज उपचार के लिए आप 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से कार्बनडीएजिम का प्रयोग करें. इसके बाद ही आप बुवाई करें और खाद एवं उर्वरक के रूप में सरसों के फसल में डीएपी, यूरिया और पोटाश के अलावा सल्फर का अवश्य प्रयोग करें. अगर आप सल्फर 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से और 30 किलोग्राम डीएपी और 20 किलोग्राम यूरिया और 20 किलोग्राम पोटाश बुआई के समय प्रयोग करते हैं तो निश्चित उत्पादन बेहतर प्राप्त होगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 12:41 IST