खाद्य तेल उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सोमवार को सरकार से कच्चे पाम तेल और सोयाबीन सहित प्रमुख कृषि वस्तुओं में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया। एसईए का कहना है कि इससे उसके सदस्यों पर वित्तीय प्रभाव पड़ रहा है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, यह प्रतिबंध पहली बार दिसंबर 2021 में सात कृषि वस्तुओं पर लागू किया गया था, जिसे कई बार बढ़ाया जा चुका है और वर्तमान विस्तार 20 दिसंबर, 2024 तक है।
पांच मंत्रियों से अपील
खबर के मुताबिक, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित पांच मंत्रियों से अपील की है कि वायदा कारोबार की गैरमौजूदगी ने मूल्य जोखिम प्रबंधन और बाजार विकास में बाधा उत्पन्न की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने मंत्रियों को दिए गए एक ज्ञापन में कहा कि उद्योग को उम्मीद थी कि सुचारू संचालन के लिए निलंबन हटा दिया जाएगा, लेकिन इस प्रतिबंध के जारी रहने से एक आवश्यक जोखिम शमन उपकरण और कमजोर हो गया है।
मुद्रास्फीति को महत्वपूर्ण रूप से नहीं बढ़ाता
एसईए ने इस बात पर जोर दिया कि स्टडी कह रही है कि वायदा कारोबार मुद्रास्फीति को महत्वपूर्ण रूप से नहीं बढ़ाता है, जो प्रतिबंध लागू होने के समय एक प्रमुख चिंता थी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, उद्योग निकाय ने कहा कि सोयाबीन की मौजूदा कीमतें सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,892 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे चल रही हैं, जबकि रेपसीड की कीमतें इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,950 रुपये से थोड़ी अधिक हैं।
एसोसिएशन ने विशेष रूप से कच्चे पाम तेल और कच्चे सोयाबीन तेल जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार की जाने वाली वस्तुओं में वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने की जरूरत पर जोर दिया है। इसमें यह तर्क देते हुए कि प्रतिबंध ने व्यवसायों को अधिक मूल्य अस्थिरता के लिए उजागर कर दिया है।