कहां है हवा में झूलता पेड़?, इससे जुड़ी है लोगों की आस्था, जानें इसका रहस्य

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Last Updated:February 05, 2025, 12:14 IST

Mysterious Tree: एक अद्भुत पेड़ जो लोगों के लिए चमत्कार बना हुआ है. यह पेड़ न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. यह पेड़ हमें प्रकृति की अद्भुत शक्ति का एहसास कराता है.

कहां है हवा में झूलता पेड़?, इससे जुड़ी है लोगों की आस्था, जानें इसका रहस्य

कहां है हवा में झूलता पेड़?

हाइलाइट्स

  • हांसी में हवा में तैरता पेड़, लोग करते हैं पूजा.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार यह बरगद का पेड़ है.
  • समधा मंदिर के पास स्थित है यह अद्भुत पेड़.

Mysterious Tree: हरियाणा के हांसी शहर में एक अनोखा पेड़ है जो हवा में लटका हुआ दिखाई देता है. यह पेड़ समधा मंदिर के पास स्थित है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. इस पेड़ की कोई भी जड़ जमीन से नहीं जुड़ी है और ये हवा में झूल रहा है. स्थानीय लोगों की इस पेड़ से गहरी आस्था है. वे इसे पवित्र मानते हैं और इसकी पूजा करते हैं.

लोगों की आस्था

यहां के स्थानीय लोगों के लिए ये ईश्वर का लरदान है. ये लोग प्रार्थनाओं के लिए पेड़ के चारों ओर नोट या कलावा बांधते हैं. कुछ लोग इसे अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पेड़ भी मानते हैं.

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पेड़ वास्तव में एक बरगद का पेड़ है. बरगद के पेड़ की शाखाएं जब कच्ची जमीन से जुड़ती हैं तो मिट्टी के अंदर उनकी जड़ें निकल आती हैं. इन जड़ों को प्रोप रूट कहते हैं. ये जड़ें पेड़ की सभी शाखाओं तक पानी और पोषण दोनों पहुंचाती हैं. ये इतनी मजबूत होती हैं कि पुरानी शाखाओं के टूटने के बाद भी ये उनका भार उठा लेती हैं. इसलिए यह पेड़ आज तक खड़ा हुआ है.

समधा मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा जगन्नाथपुरी जी इसी पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या किया करते थे. 1586 ई. में जब बाबा जगन्नाथपुरी जी महाराज ने हांसी में डेरा डाला तब वहां कोई हिंदू नहीं रह गया था. लोगों का मानना है कि वे इस पेड़ के नीचे जगन्नाथपुरी जी की तपस्या किया करते थे और उन्होंने इसी जगह पर समाधि ले ली थी.

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कैसे पहुंचे यहां?
हांसी शहर सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. आप यहां बस या ट्रेन से आसानी से पहुंच सकते हैं. हांसी पहुंचने के बाद आप ऑटो या टैक्सी से समधा मंदिर जा सकते हैं.

First Published :

February 05, 2025, 12:14 IST

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