Agency:News18Hindi
Last Updated:February 06, 2025, 08:02 IST
लगातार मौसम बदल रहा है. बढ़ता तापमान, कम होती सर्दियों की अवधि और बेमौसम बारिश ने मौसम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है. अभी फरवरी से ही मौसम का जो मिजाज बदला है, चिंता जनक स्थिति है. वसंत ...और पढ़ें
![काल बन रहा बदलता जलवायु, गायब हो रहा ऋतुओं का राजा? वैज्ञानिकों ने जताई चिंता काल बन रहा बदलता जलवायु, गायब हो रहा ऋतुओं का राजा? वैज्ञानिकों ने जताई चिंता](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/Spring-Weather-2025-02-13f4132d8805e51dcd6fcbcfb6c9ecaf.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
ऋतुराज को किसकी लगी नजर.
हाइलाइट्स
- जलवायु परिवर्तन से वसंत ऋतु खतरे में है.
- वैज्ञानिक फरवरी में बढ़ रही गर्मी से चिंतित हैं.
- वसंत का मौसम धीरे-धीरे गायब हो रहा है.
नई दिल्ली. मौसमों का राजा या ऋतुराज वसंत आते ही मन बौराने लगता है. हर तरफ खुशियों का माहौल रहता है, फसलें कट जाते हैं, आम की मोहनी खुशबू, कोयल की कूक, शीतल मन्द सुरभित हवा, खिलते फूल, मतवाला माहौल, सुहानी शाम मानों लगता है कि स्वर्ग कहीं है तो यहीं है. मगर अब ये वसंत धीरे-धीरे कहीं खोते जा रहा है. वसंत पहले जैसा रहता था वैसा अब नहीं रहा. इसके कई कारण हो सकते हैं. पहले तो हम शहरों को तेजी से विकास और जलवायु परिवर्तन को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा सकते है. मौसम विभाग ने बताया कि लगातार तेजी बढ़ रहे शुष्क सर्दियां और बेमौसम उच्च तापमान का प्रचलन गायब होते वसंत के लिए जिम्मेदार है.
मौसम विज्ञानियों के अनुसार “शुरुआती वसंत जैसा” दौर में पाया जाता है, अब कहीं नहीं दिख रहा है. आईएमडी के अनुसार, जनवरी 2025 रिकॉर्ड पर तीसरा सबसे गर्म महीना था, जिसमें औसत तापमान 18.9 डिग्री सेल्सियस था, और 1901 के बाद से चौथा सबसे शुष्क महीना था, जिससे यह हाल के इतिहास में सबसे शुष्क सर्दियों के महीनों में से एक बन गया. हमारे बचपन में वसंत की शुरुआत मार्च और अप्रैल में होती थी, लेकिन अब तो ऐसा हो गया है कि फरवरी आते ही मौसम ऐसा करवट बदलता है जैसे मानो हम अभी ही अप्रैल में प्रवेश कर चुके हों. चिंता जाहिर करते हुए मौसम विज्ञानियों ने कहा अगर मौसम का यह प्रचलन रहा तो वसंत अब खत्म हो रहा है.
ेजीगभारतीय स्कूल ऑफ बिजनेस (हैदराबाद) में भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के शोध निदेशक और IPCC (इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज) के लेखक प्रोफेसर अंजल प्रकाश ने गायब हो रहे वसंत के व्यापक प्रभावों के बारे में चेतावनी दी. उन्होंने कहा, ‘जलवायु पैटर्न में बदलाव के साथ, यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि प्रिय वसंत ऋतु, जो कभी नवीनीकरण और कृषि जीवन शक्ति की पहचान थी, खतरे में है.’ उन्होंने कहा कि लगातार बदल रहे मौसम वसंत के सर्किल को कम कर रहा है. उन्होंने कहा कि जलवायु के जोखिमों को कम करने के लिए हमें तेजी से इसपर काम करना होगा.
जल्दी ही वसंत ऋतु गायब हो जाएगा
आईएमडी के पूर्वानुमान में देश भर में, विशेष रूप से उत्तरी भारत में सामान्य से कम वर्षा की भविष्यवाणी की गई है, जबकि अधिकतम और न्यूनतम तापमान दोनों औसत से ऊपर रहने की उम्मीद है. स्काईमेट में मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा, ‘हमें जल्दी या शायद बिल्कुल भी वसंत ऋतु देखने को न मिले. दिसंबर और जनवरी में कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण बर्फबारी कम हुई. सर्दियों में बारिश भी कम हुई. इसके अलावा, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व से आने वाली आर्द्र और गर्म हवाओं ने ठंडी उत्तरी हवाओं को रोक दिया, जिससे न्यूनतम तापमान सामान्य से ज़्यादा हो गया.’
औसत वैश्विक तापमान 1.55 से अधिक रहा
यूरोपीय थिंक टैंक क्लाइमेट सेंट्रल ने भी हाल के दशकों में फ़रवरी में तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि पर चिंता जताई. चानक सर्दी से गर्मी में बदलाव आया है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने पहले ही पुष्टि कर दी है कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा, औसत वैश्विक तापमान 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा. उत्तर भारत में, सर्दी अचानक गर्मियों में बदल रही है, जिससे वसंत का क्रमिक संक्रमण समाप्त हो रहा है.
काल बन रहा बदलता जलवायु, गायब हो रहा ऋतुओं का राजा? वैज्ञानिकों ने जताई चिंताभारत में मौसम को देखें तो इस सर्दी के मौसम में हिमालय में भारी वर्षा की कमी देखी गई है. 1 जनवरी से, उत्तराखंड में 86% की कमी दर्ज की गई, उसके बाद J&K (80%), हिमाचल प्रदेश (73%) और सिक्किम (82%) का स्थान रहा. IMD के आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत-पूर्वी राजस्थान को छोड़कर – में बहुत कम से लेकर बहुत कम वर्षा दर्ज की गई, जबकि मध्य भारत में जनवरी में 96% वर्षा की कमी देखी गई.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 06, 2025, 08:02 IST