किसानों की हुई बल्ले-बल्ले..पराली की समस्या का यहां हो जाएगा मिनटों में समाधान

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किसानों की हुई बल्ले-बल्ले...पराली की समस्या का यहां हो जाएगा मिनटों में समाधान, बदले में मिलेगी खाद

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किसानों की हुई बल्ले-बल्ले...पराली की समस्या का यहां हो जाएगा मिनटों में समाधान, बदले में मिलेगी खाद

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पराली के बदले मिलेगी खाद

What To Do With Stubble: अभी तक आपने विभिन्न मार्केटिंग स्तर पर स्कीम के बारे में सुना होगा. जहां आपके पास कोई पुराना सामान है. तो उसे ले आएं उसके बदले दूसरा सामान ले जाएं. कुछ इसी तरह का नजारा मेरठ की गौशाला में देखने को मिल रहा है. जहां किसानों की पराली की समस्या का समाधान करने के लिए एक अनोखा उपाय किया जा रहा है. इसमें किसानों से पराली ली जा रही है. उसके बदले उनको गाय का गोबर उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे खेतों से पराली की समस्या का समाधान करते हुए उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए गाय का गोबर का उपयोग कर सके. ऐसे में लोकल-18 की टीम द्वारा मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सुभाष मालिक से खास बातचीत की.

जमीन के लिए वरदान है गोबर की खाद 
डॉ सुभाष मलिक ने बताया कि खेती पद्धति की अगर बात की जाए तो पहले देखा जाता था किसानों द्वारा गोबर का उपयोग किया जाता था. क्योंकि गोबर में ऐसे तत्व मिलते हैं. जो की जमीन की उर्वक क्षमता को बढ़ाने में काफी बेहतर साबित होते हैं. लेकिन अब बदलते दौर में कहीं ना कहीं किसान इस पद्धति से दूर होते जा रहे हैं. ऐसे में शासन के दिशा निर्देश अनुसार किसानों की पराली की समस्या का समाधान करने के लिए पराली के बदले गोबर देने की सुविधा दी जा रही है. ताकि किसानों की समस्या का समाधान भी हो जाए. साथ ही उनकी बेहतर फसल हो सके. उन्होंने बताया कि किसान किसी भी गौशाला पर जाकर पराली के बदले गोबर ले सकते हैं. उन्हें किसी भी प्रकार से कोई पैसे देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

पराली का धुआं होता है घातक
बताते चले कि हर साल देखने को मिलता है. काफी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां किसानों द्वारा पराली को जलाया जाता है. इससे कहीं ना कहीं यह धुआं वायु प्रदूषण में जहर की तरह उभरने लगता है. लोगों के सांसों पर भी संकट आ जाता है. इसी समस्या का समाधान करने के लिए ही यह स्कीम लागू की गई है. जिसमें किसान रुचि दिखा रहे हैं. डॉक्टर सुभाष मलिक के अनुसार मेरठ जनपद से संबंधित विभिन्न गौशालाओं पर बड़ी संख्या में किसान अब पराली के बदले गोबर लेकर जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसी तरीके से सभी किसान अपनी सहभागिता निभाएं. तो उससे उनकी समस्या का भी निवारण हो जाएगा. साथ ही जो वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती है. उससे भी राहत मिल पाएगी.

Tags: Agriculture, Local18

FIRST PUBLISHED :

November 28, 2024, 15:11 IST

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