Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 12, 2025, 08:42 IST
बाराबंकी जिले के बेरहरा गांव के रहने वाले किसान चमन मिश्रा ने पारंपरिक फसलों के मुकाबले बीन्स और मटर की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा फायदा हुआ.
सीजन के तौर पर रहती है काफी डिमांड
जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे खेती किसानी में भी बदलाव देखने को मिल रहा है, क्योंकि आज के समय में सब्जी की खेती में किसानों को अधिक मुनाफा नजर आने लगा है और ये सब्जियां कम समय में तैयार हो जाती हैं और मंडी में अच्छी कीमत मिलने से किसानों को मालामाल कर देती हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं बींस व हरी मटर की जिनकी सीजन में अधिक डिमांड रहती है और इनकी कीमत भी ज्यादा मिलती है, जिससे किसानों को फायदा भी अधिक होता है.
बाराबंकी जिले के बेरहरा गांव के रहने वाले किसान चमन मिश्रा ने पारंपरिक फसलों के मुकाबले बीन्स और मटर की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा फायदा हुआ आज करीब 3 बीघे में बीन्स, मटर की खेती कर रहे हैं. इस खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
60 से 70 हजार का मुनाफा
इसकी खेती कर रहे किसान चमन मिश्रा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि पहले हम आलू, धान, गेहूं आदि की खेती करते थे. उसमें इतना मुनाफा नहीं हो पा रहा था. फिर हमने सब्जियों की खेती की तरफ रुख किया, जिसमें हमने करेला, फूलगोभी, ब्रोकली जैसी सब्जियों की खेती की. जिसमें हमें अच्छा फायदा हुआ. इस समय हमने एक बीघे में बीन्स, दो बीघे में हरी मटर की खेती की है जिसमें लागत करीब एक बीघे में 8 से 10 हजार रुपये आती है और मुनाफा करीब 60 से 70 हजार रुपए तक हो जाता है.
बींस और हरी मटर की रहती है डिमांड
बींस और हरी मटर वह सब्जी है जिसकी डिमांड बाजारों में अधिक रहती है जिस वजह से इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. यह जो मटर है यह चाइनीस किस्म की है. ये अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक पैदावार होने के साथ-साथ ये काफी मिठी होती है और इसकी फली भी काफी बड़ी होती है. इस कारण लोग इसको खाना ज्यादा पसंद करते हैं और इस खेती में लागत देखी जाए तो बेहद कम है और मुनाफा कहीं अधिक है.
50 से 60 दिनों में हो जाती है तैयार
इसकी खेती करना बहुत ही आसान है. सबसे पहले हम खेत की दो से तीन बार बढ़िया से जुताई करते हैं. फिर इसमें हम रासायनिक व गोबर की खाद का छिड़काव करके खेत को समतल करके बीन्स व मटर के बीजों की लाइन टू लाइन बुवाई की जाती है. फिर पौधा निकलने के 20 से 22 दिन बाद इसकी सिंचाई की जाती है. करीब 50 से 60 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है जिसे हम बाजारों में बेच सकते हैं.
Location :
Bara Banki,Uttar Pradesh
First Published :
February 12, 2025, 08:42 IST
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