Last Updated:February 12, 2025, 10:49 IST
Ayodhya Ram Mandir, Acharya Satyendra Das Salary: अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास की कहानी काफी दिलचस्प है.आइए जानते हैं एक टीचर से रामलला के मुख्य पुजारी बनने तक का सफर...और पढ़ें
![16 साल की टीचर की नौकरी, फिर बन गए राम मंदिर के पुजारी, जानें कितनी थी सैलरी? 16 साल की टीचर की नौकरी, फिर बन गए राम मंदिर के पुजारी, जानें कितनी थी सैलरी?](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/Copy-of-CANVA-2025-02-12T104657.675-2025-02-44da943ff3d9406abb554601de326fb3.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
Acharya Satyendra Das, Ram Mandir News: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास की कहानी.
Ayodhya Ram Mandir, Acharya Satyendra Das passes distant : अयोध्या के श्रीराम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास नहीं रहे. वह 1992 से रामलला की देखरेख व पूजा पाठ करते थे. आचार्य सत्येन्द्र दास ही वह शख्स थे, जब 6 दिसंबर 1992 को बाबारी का ढांचा ढाया गया, तो वह वहीं मौजूद थे और रामलला की मूर्तियां लेकर दौड़े थे. आचार्य सत्येन्द्र दास को राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से आजीवन राम मंदिर का मुख्य पुजारी घोषित किया गया था. आचार्य सत्येन्द्र दास के पुजारी बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. आइए आपको बताते हैं कि 16 साल तक टीचर की नौकरी करने वाला शख्स कैसे पुजारी बन गया और राम मंदिर पुजारी के रूप में उनको कितनी सैलरी मिलती थी?
Acharya Satyendra Das Biography: आचार्य सत्येन्द्र दास मूल रूप से संत कबीर नगर के रहने वाले थे. सत्येन्द्र दास ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपने पिता अभिराम दास के साथ पहली बार वर्ष 1949 में राम जन्मभूमि अयोध्या आए थे. इसके बाद वह वापस चले गए, लेकिन 9 साल बाद यानि वर्ष 1958 में वह वापस अयोध्या आए और यहीं रह कर पढ़ाई करने लगे. इस दौरान उन्होंने आजीवन संन्यासी रहने का फैसला लिया. इस निर्णय से उन्होंने अपने घर को भी अवगत करा दिया. सत्येन्द्र दास ने बताया था कि जब यह बात उनके पिताजी को पता चली, तो वह खुश हुए और उन्होंने उनका फैसला मान लिया.
Acharya Satyendra Das Story: डिग्री कॉलेज में बन गए टीचर
सत्येन्द्र दास ने 1975 में एक संस्कृत विद्यालय से आचार्य की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद उन्हें एक संस्कृत डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट टीचर की नौकरी मिल गई. सत्येन्द्र दास ने एक इंटरव्यू में बताया था कि तब उनकी तनख्वाह 75 रुपये महीने हुआ करती थी. सत्येन्द्र दास तकरीबन 16 साल तक टीचर की नौकरी करते रहे.
Ram Mandir Mukhya pujari: और बन गए राममंदिर के पुजारी
16 साल टीचर की नौकरी करने के बाद आचार्य सत्येन्द्र दास को एक मार्च 1992 को राम मंदिर का मुख्य पुजारी बनाया गया. उस समय उनकी पहली सैलरी 100 रुपये थी. सत्येन्द्र दास के मुताबिक राम मंदिर का मुख्य पुजारी बनने के 9 महीने तक सबकुछ अच्छा चल रहा था. 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी ढहाई गई तब वह परिसर में ही थे. उन्होंने यह भी बताया था कि कैसे जब बाबरी का ढांचा गिरा, तो वह रामलला की मूर्ति लेकर दौड़कर भागे थे.
Ram Mandir Pujari ki Salary: राम मंदिर बनने के बाद कितनी हो गई सैलरी
अभी जब राम मंदिर बनकर तैयार हो गया, तब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आचार्य सत्येन्द्र दास का वेतन बढ़कर 38500 रुपये कर दिया गया.आचार्य सत्येंन्द्र दास ने श्रीराम जन्म भूमि ट्रस्ट से दिसंबर 2024 में खुद को कार्यमुक्त करने का निवदेन किया था. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने आचार्य सत्येन्द्र दास को आजीवन सैलरी देने का निर्णय लिया था. अब आचार्य सत्येन्द्र दास का 87 साल की उम्र में निधन हो गया.
First Published :
February 12, 2025, 10:49 IST