Bahraich: जिले की रहने वाली महिला गीता अग्रवाल की कहानी दिल को झकझोर देती है. इनके पति की लम्बे इलाज के बाद, कैंसर से मौत हो गई. अब गीता के लिए सबसे बड़ा चैलेंज घर के खर्चे चलाना और तीन बेटियों को पालना था. पति बहराइच शहर के अशोका स्टूडियो के बाहर खस्ता मटर का ठेला लगाया करते थे. उनकी मौत के बाद, सारा काम धंधा ठप हो गया, पत्नी और बच्चे भुखमरी की कगार पर आ गए.
गीता अग्रवाल एक हाउस वाइफ थी इसलिए बाहर निकलना भी उनके लिए बहुत कठिन था. अंत में इन्होंने सारे पुराने ख्यालों को छोड़कर अपने पति के काम को अपना काम बनाया. आज इसी काम से ये अपनी तीन बेटियों को पढ़ा- लिखा रही हैं और एक बेटी की शादी भी की है.
आसान नहीं था सफर
पति की मौत के बाद जब गीता ने परिवार की जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए घर से बाहर कदम निकाले और पति के काम को अपना काम बनाया तो बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ा सामना समाज के नजरिया का था. बावजूद इसके भी गीता ने हार नहीं मानी और संघर्ष जारी रखा.
लोकल 18 से गीता ने बताया कि शुरुआत में बहुत सारी मुश्किलें थी और आमदनी भी ना के बराबर होती थी. लेकिन धीरे-धीरे व्यापार भी अच्छा चलने लगा. इस व्यापार के जरिए बेटियों को पढ़ाया-लिखाया और एक बेटी की शादी के बाद दूसरी बेटियों की भी शादी इसी व्यापार से कमाए हुए पैसे से करने की योजना बना रही हैं.
खस्ता मटर का व्यापार
गीता के स्वर्गीय पति खस्ता मटर का काम करते थे, जिसे अब गीता खुद करती हैं. वे एक खास तरीके से बनाकर मात्र 15 रुपये में एक पत्ता खस्ता मटर बेचती हैं. सुनने में ये कमाई थोड़ी लगती है पर गीता ने इसी के दम पर अपने परिवार को पाला है. बच्चों की पढ़ाई पूरी करायी और अब उनकी शादी भी कर रही हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 16:43 IST