चंडीगढ़: बलात्कार-हत्या के दोषी गुरमीत राम रहीम ने एक बार फिर 20 दिन की पैरोल की याचिका दायर की है, जबकि वो अभी हाल ही में 21 दिन के लिए फरलो पर बाहर था. राम रहीम फिलहाल हरियाणा के रोहतक जिले के सुनारिया जेल में है. वहीं राम रहीम के पैरोल याचिका पर राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य अधिकारी पंकज अग्रवाल ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. पंकज अग्रवाल ने राज्य सरकार से सवाल किया गया है कि राम रहीम के आवेदन को स्वीकार करने के लिए कोई बाध्यकारी परिस्थितियां हैं तो उससे अवगत कराई जाए.
निर्वाचन मुख्य अधिकारी ने पूछा सवाल
राम रहीम की पैरोल वाली याचिका में कहा गया है कि उसे यूपी के बरनावा स्थित डेरा आश्रम में काम देखना है. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अनुराग रस्तोगी के माध्यम से जेल विभाग को भेजा गया अग्रवाल का प्रश्न 5 अक्टूबर के विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता के संदर्भ में है. अग्रवाल ने कहा, ”हम प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.’ रस्तोगी, डीजीपी (जेल) मुहम्मद अकिल और मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद प्रशासन की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी के लिए मौजूद नहीं थे. वहीं भाजपा पदाधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि हालांकि पैरोल के लिए आवेदन करना कैदी का अधिकार है, लेकिन राम रहीम की याचिका का समय चुनाव में सिरसा स्थित डेरा की कथित संलिप्तता का संकेत देता है.
विपक्ष ने पैरोल याचिका पर बोला हमला
ढींगरा ने कहा, “पहले भी उन्हें चुनाव से पहले जेल से रिहा किया गया था. इसलिए, यह चिंता का विषय है. उनकी रिहाई से वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है क्योंकि उनके बहुत बड़े अनुयायी हैं.” अगले 20 दिनों के लिए पैरोल दिए जाने की स्थिति में, राम रहीम चार साल में कुल 275 दिनों के लिए जेल से बाहर रहा है, जिसमें हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में नौ मौकों पर विधानसभा, नगरपालिका, संसदीय और पंचायत चुनाव होंगे.
पिता के हत्यारे के पैरोल पर बेटे का छलका दर्द
वहीं मारे गए पत्रकार राम चंदर छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने रविवार को अपने पिता के दोषी हत्यारे, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के साथ हरियाणा सरकार के एक्शन पर विपक्षी दलों की चुप्पी को लेकर हैरानी जताई. अंशुल राज्य में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के मौके पर राम रहीम की 20 दिन की पैरोल की अर्जी पर प्रतिक्रिया दी. अंशुल ने अपने पिता को इंसाफ दिलाने के लिए 17 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी. राम चंदर छत्रपति की हत्या के मामले में डेरा प्रमुख को जनवरी 2019 में दोषी ठहराया गया. टीओआई से बात करते हुए अंशुल ने कहा, ‘उन्होंने (राम रहीम ने) गंभीर अपराध किए और उन्हें दोषी ठहराया गया, लेकिन अब सार्वजनिक रूप से उनका कोई महत्व नहीं है. मैं कहूंगा कि एक सर्वेक्षण कराएं या पिछले कुछ चुनावों के नतीजों का विश्लेषण करें, सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा कि डेरा प्रमुख का कोई प्रभाव नहीं था.”
‘हमें दुख होता है’
अंशुल ने कहा कि डेरा प्रमुख की आगे की पैरोल पर उनके परिवार की आपत्ति का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. हम पीड़ित हैं और उन्होंने मेरे पिता की हत्या के बाद जीवन में बहुत कुछ सहा है. सौभाग्य से, हमें न्याय मिला। लेकिन जब भी वह रिहा होते हैं तो हमें दुख होता है. सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए 2022 में कानून में संशोधन किया कि वह कट्टर की श्रेणी में न आएं. अपराधी रिहा हो जाते हैं और सरकार को ऐसे अपराधियों पर मेहरबानी नहीं करनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 08:25 IST