Last Updated:January 20, 2025, 18:23 IST
Mid-Day Meal Crisis successful India: मिड डे मील सराकर की एक बहुत बड़ी पहल है जिसके माध्यम से बच्चों के पोषण का खास ध्यान रखा जाता है. लेकिन हाल ही में कुछ खबरों के माध्यम से ये पता लगा है कि मिड डे मील सेवा...और पढ़ें
मिड-डे मील के दौरान भोजन करते हुए सरकारी स्कूल के बच्चे.
Mid-Day Meal Scheme: हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित मध्यान्ह भोजन योजना (मिड-डे मील) संकट का सामना कर रही है. कहा जा रहा था कि प्रदेश के हजारों प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में भोजन वितरण करने वाली स्व-सहायता समूहों को समय पर राशि नहीं मिल रही है, जिससे योजना के सुचारू संचालन पर असर पड़ सकता है.
इस रिपोर्ट की सच्चाई जानने के लिए लोकल 18 की टीम ने ग्राउंड पर पड़ताल की.
टीलाखेड़ी गांव का मिड-डे मील
लोकल 18 की टीम ने भोपाल से 30 किलोमीटर दूर फंदा विकासखंड के तहत आने वाले टीलाखेड़ी गांव का दौरा किया. यहां के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे मील योजना का संचालन आदर्श स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है.
स्व-सहायता समूह के संचालक मकबूल खान ने बताया कि कभी-कभी सरकारी राशि मिलने में देरी होती है, लेकिन ऐसा अक्सर नहीं होता. हाल ही में दिसंबर और जनवरी की राशि नहीं आई है, हालांकि यह पहली बार नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार पैसे 2-3 महीने तक देरी से आती है, लेकिन इससे योजना पर कोई खास असर नहीं पड़ता.
रसोई और सफाई व्यवस्था का जायजा
स्कूल परिसर में स्थित रसोई का निरीक्षण करने पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान देखने को मिला. रसोई में मकबूल खान के अलावा दो महिलाएं भी काम करती हैं, जो बच्चों को खाना परोसने और अन्य कार्यों में मदद करती हैं. स्कूल की प्राचार्य डॉ. शोभा चतुर्वेदी ने बताया कि मिड-डे मील का संचालन नियमित रूप से हो रहा है. उन्होंने कहा कि सफाई और भोजन की गुणवत्ता पर हम विशेष ध्यान देते हैं. बच्चों को पौष्टिक और स्वच्छ भोजन प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है .
राशि में देरी का प्रभाव
प्राचार्य चतुर्वेदी ने बताया कि विद्यालय में नर्सरी से लेकर कक्षा 12वीं तक 351 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इनमें से 170 बच्चे मध्यान्ह भोजन योजना का लाभ लेते हैं. हालांकि, कभी-कभी राशि आने में देरी होती है, लेकिन स्कूल के शिक्षक और कर्मचारी आपसी सहयोग से इस समस्या को हल कर लेते हैं.
क्या है वर्तमान स्थिति?
मकबूल खान के अनुसार, दिसंबर और जनवरी की राशि अभी तक स्व-सहायता समूह को नहीं मिली है. हालांकि, इस प्रकार की देरी आमतौर पर अस्थायी होती है. उन्होंने कहा, “यह समस्या पहली बार नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि राशि जल्द ही जारी कर दी जाएगी.”
बच्चों को पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण
लोकल 18 की रिपोर्ट में पाया गया कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन योजना को गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ संचालित किया जा रहा है. रसोई में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है, और बच्चों को समय पर भोजन मिलता है.
योजना पर संकट की बात कितनी सही?
ग्राउंड रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि मध्यान्ह भोजन योजना पूरी तरह बंद होने का खतरा नहीं है. हां, सरकारी राशि में देरी जरूर एक समस्या है, लेकिन स्कूल और स्व-सहायता समूह मिलकर इसे प्रभावी ढंग से संभाल रहे हैं.
Location :
Bhopal,Madhya Pradesh
First Published :
January 20, 2025, 18:23 IST
क्या सरकारी स्कूलों में बंद हो जाएगी मिड-डे मील? लोकल 18 की ग्राउंड रिपोर्ट