अपतटीय क्षेत्रों में खनिज ब्लॉकों की बिक्री का पहला दौर 28 नवंबर 2024 से शुरू होने जा रहा है। सरकार की तरफ से की जा रही इस नीलामी के जरिये 13 खदानों की बिक्री की जाएगी। यह नीलामी अरब सागर और अंडमान सागर में मौजूद खदानों की होगी। इन खनिज ब्लॉकों में निर्माण रेत, चूना मिट्टी और पॉलीमेटेलिक नोड्यूल का मिश्रण होता है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, ये खनिज बुनियादी ढांचे के विकास, हाई टेक विनिर्माण और हरित ऊर्जा संक्रमण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
समुद्र के नीचे खोज और विकास में तेजी आएगी
खबर के मुताबिक, एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि खान मंत्रालय 28 नवंबर 2024 को भारत के अपतटीय क्षेत्रों में खनिज ब्लॉकों की नीलामी का पहला दौर शुरू करेगा। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अपतटीय क्षेत्र के भीतर समुद्र के नीचे के खनिज संसाधनों की खोज और विकास में तेजी आएगी। अपतटीय क्षेत्रों में प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और देश के अन्य समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।
खान मंत्रालय ने कहा कि कोबाल्ट, निकल, दुर्लभ मृदा तत्वों और पॉलीमेटेलिक नोड्यूल जैसे उच्च मांग वाले खनिजों पर निर्भर टेक्नोलॉजी की तरफ वैश्विक बदलाव के साथ, भारत को आयात पर निर्भरता कम करने और अपनी सप्लाई चेन को स्थिर करने के लिए विविध खनिज स्रोतों का विकास करना चाहिए।
नियमों में किया गया संसोधन
कोयला और खान मंत्री जी किशन रेड्डी और कोयला और खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे आधिकारिक तौर पर इस नीलामी की शुरुआत करेंगे। पिछले साल अगस्त में, संसद ने अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002 में संशोधन किया, जिसमें अपतटीय क्षेत्रों में खनिज ब्लॉकों के आवंटन के तरीके के रूप में नीलामी को जरूरी बनाया गया। यह संशोधन सरकार को इन संसाधनों की खोज और निष्कर्षण के लिए उत्पादन पट्टों और समग्र लाइसेंसों के अनुदान को सुव्यवस्थित करने की अनुमति देता है।
जैसे-जैसे देश समुद्र के नीचे खनिज अन्वेषण में कदम रखता है, इसका उद्देश्य न केवल अपने औद्योगिक और हरित ऊर्जा क्षेत्रों को मजबूत करना है, बल्कि महत्वपूर्ण खनिजों में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति को सुरक्षित करना है।