गरीबी में जीता है परिवार, अपने से बड़े बच्चों को फ्री पढ़ाती है बेटी

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Last Updated:January 18, 2025, 16:07 IST

प्रियंका की कहानी काफी खास है. इसके पिता पानी पुरी का ठेला लगाते हैं. पूरा परिवार गरीबी में जीता है लेकिन इसकी आंखों में इतने बड़े सपने हैं कि यह पूरे समाज को बदलने के लिए अकेले ही निकल पड़ी है.

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काफी खास है जमुई की यह लड़की 

जमुई. अमीरी-गरीबी भले ही लोगों के हौसले को डिगा सकती है, लेकिन यह लोगों के बीच फर्क नहीं पैदा कर सकती. अगर किसी के सपने बड़े हों तब वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए इन सभी बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी जमुई की रहने वाले इस लड़की की है. जिसके पिता पानी पुरी बेचते हैं. पूरा परिवार गरीबी में जीता है लेकिन इसकी आंखों में इतने बड़े सपने हैं कि यह पूरे समाज को बदलने के लिए अकेले ही निकल पड़ी है. यह बच्चों को पढ़ाती है और उसके बदले उनसे पैसे भी नहीं लेती. इतना ही नहीं वह अपने से बड़े बच्चों को भी गणित की शिक्षा देती है. यह कहानी है जमुई जिले के झाझा प्रखंड क्षेत्र के मछिंद्रा गांव की रहने वाली प्रियंका कुमारी की, जो वर्तमान में केशवपुर उच्च विद्यालय की छात्रा है.

प्रियंका की कहानी काफी खास है. इसके पिता पानी पुरी का ठेला लगाते हैं. पूरे दिन मेहनत करने के बाद भी 100 से 200 रुपए की ही कमाई हो पाती है. परिवार का गुजारा किसी तरीके से होता है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रियंका अपनी शिक्षा को लेकर काफी जागरूक हैं. प्रियंका कक्षा 11 की छात्र हैं और वह अपने स्कूल की कक्षा 10 और 9 के छात्र-छात्राओं को पढ़ाती है. इसके अलावा लंच ब्रेक के दौरान बच्चों को विज्ञान और गणित की शिक्षा देती हैं. प्रियंका घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाती है और इसके लिए वह कोई भी पैसे नहीं लेती. प्रियंका चाहती है कि वह पढ़ लिख कर अपने पिता की मदद कर सकें और इसके लिए वह लगातार दिन-रात मेहनत करती रहती हैं.

मां की मौत के बाद भी नहीं मानी हार
साल 2024 के नवंबर महीने में अचानक प्रियंका के मन की मृत्यु ने पूरे परिवार को झकझोर दिया. प्रियंका के सामने अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी बड़ा पत्थर बनकर खड़ी हो गई. लेकिन प्रियंका ने इससे भी हार नहीं मानी, मां की मौत के बाद भी वह नहीं रुकी. प्रियंका की मां की ख्वाहिश थी कि उसकी बेटी पढ़ लिखकर एक सरकारी अफसर बन सके और वह अपने मां के सपने को पूरा करने के लिए काम करती है. प्रियंका ने कहा कि बच्चों को पढ़ने के लिए शरारती बनना पड़ता है, तभी बच्चे समझ पाते हैं. मेरी शिक्षिका ने मुझे प्रेरित किया कि मैं भी बच्चों को पढ़ा हूं, इसके बाद ही मैं उन्हें पढ़ाने में लग गई हूं. प्रियंका के स्कूल के लोग भी उसके इस हुनर की तारीफ करते हैं.

Location :

Jamui,Jamui,Bihar

First Published :

January 18, 2025, 16:07 IST

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गरीबी में जीता है परिवार, अपने से बड़े बच्चों को फ्री पढ़ाती है बेटी

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