जबलपुर में लगा विज्ञान मेला, कई तरह के स्टॉल, हॉटलाइन सूट, ब्रह्मोस से लेकर कड

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मेले में पहुंच रहे स्टुडेंट्स और यूथ.

जबलपुर: मध्यप्रदेश के जबलपुर में महाकौशल विज्ञान मेले का आयोजन किया गया है. जिसका आयोजन 15 नवंबर से शुरू हुआ हैं. जो 18 नवंबर तक चलेगा. मेले में कई तरह के स्टाल लगाए गए हैं. जहां हॉटलाइन सूट, ब्रह्मोस, कड़कनाथ, डीआरडीओ और इसरो सहित दर्जनों झांकियां बनाई है. जिसे देखने लोग काफी उत्सुक दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा मेले में साइंस को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है. जहां शोधकर्ताओं लेक्चर भी दे रहे हैं.

आइआइटी भोपाल के निदेशक आशुतोष कुमार सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय में प्रकाश डालते हुए बताया कि आज एआइ भारत के सभी क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना चुका है. उन्होंने एआइ को कंप्यूटर पर निर्भर बताया. उन्होंने कहा कि ज्ञान हमारे देश में सदैव रहा है. लेकिन हम इसे तकनीक में बदल नहीं सके. आज एआइ की सहायता और वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण प्रयास से नई-नई खोज करने में सफल हो पा रहे हैं.अगले 20 वर्षों में एआइ को लेकर भारत बहुत बड़े चमत्कार करेगा. क्योंकि, भारत हमेशा से कम बजट में देश को सबसे अच्छा उपकरण बना कर देता है.

हाट लाइन सूट बना आकर्षण का केंद्र
मेले में मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसकों) का स्टाल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जबकि विशेष तकनीक और मटेरियल से बना इंसुलेटेड सूट के साथ प्रदर्शित एक माडल बेहद आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जिसे पहनकर बेयर हैंड तकनीक के ट्रांसमिशन लाइनों के 400 केवी, 220 केवी, 132 केवी वोल्टेज लेवल पर चालू लाइन में सुधार कार्य किया जा सकता है. नवीनतम तकनीक का उपयोग कर बनाए गए.

एयर इंसुलेटेड सबस्टेशन के माडल ट्रांसमिशन
गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन का माडल, परंपरागत एयर इंसुलेटेड सबस्टेशन के माडल के साथ ट्रांसमिशन लाइन में उपयोग किए जाने वाले परंपरागत लेटिस टावर, मोनोपोल और भारत में बहुत कम इस्तेमाल की जाने वाली अंडरग्राउंड 132 केवी ट्रांसमिशन केबल, पावर ट्रांसफार्मर और सबस्टेशन एलिमेंट्स के बचाव के लिए उपयोग की जाने वाली प्रोटेक्शन रिले, ट्रांसमिशन लाइनों के फाल्ट ढूंढने में उपयोग किया. जाने वाला फाल्ट लोकेटर, जो यह बता देता है कि फॉल्ट कितनी तीव्रता का और कितनी दूरी पर है. इसके अलावा ट्रांसमिशन लाइनों के लिए उपयोग में आने वाले विभिन्न प्रकार के कंडक्टर, ट्रांसमिशन टावरों के क्षतिग्रस्त होने पर इमरजेंसी के समय उपयोग जाने वाले इआरएस टावर, ट्रांसमिशन नेटवर्क में उपयोग किए. जाने वाले कम्युनिकेशन उपकरणों के बारे में भी विज्ञान में दर्शाया गया है.

FIRST PUBLISHED :

November 17, 2024, 19:40 IST

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