Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 06, 2025, 20:41 IST
White mustard farming method : सफेद सरसों एक तिलहन फसल है, जो न केवल तेल उत्पादन में बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कीटों को नियंत्रित करने में भी काम आता है. इसे तिलहन मूली भी कहते हैं.
सफेद सरसों.
हाइलाइट्स
- सफेद सरसों मूली की एक प्रजाति है.
- सफेद सरसों ठंडी जलवायु में अच्छी उपज देती है.
- मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कीट नियंत्रण में मददगार.
गोंडा. सफेद सरसों मूली के पौधे की एक किस्म है, जिसे मिट्टी को बेहतर बनाने और कीड़ों से बचाने के लिए उगाया जाता है. इसे तिलहन मूली के नाम से भी जाना जाता है. सफेद सरसों का फूल मूली के फूल के जैसा होता है. इसके बीज भी मूली के बीज के जैसे ही होते हैं. ये मूली का एक प्रजाति है. सफेद सरसों ठंडी जलवायु में अच्छी उपज देती है. बलुई दोमट से लेकर चिकनी मिट्टी तक में इसकी खेती की जा सकती है, लेकिन जल निकासी अच्छी होनी चाहिए.
लोकल 18 से बातचीत में एलबीएस पीजी कॉलेज गोंडा के कृषि विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. घनश्याम द्विवेदी कहते हैं कि सफेद सरसों (White Mustard) तिलहन फसल है, जिसका उपयोग न केवल तेल उत्पादन में बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कीटों को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है. इसका पौधा और फूल मूली के पौधे से मिलते-जुलते हैं.
कब और कैसे उगाएं
डॉ. घनश्याम द्विवेदी कहते हैं कि इसकी खेती के लिए अक्टूबर-नवंबर सबसे उपयुक्त समय है. इसे फरवरी-मार्च में भी बो सकते हैं. प्रति हेक्टेयर 4-5 किग्रा बीज की जरूरत होती है. पंक्तियों के बीच की दूरी 30-40 सेमी और पौधों के बीच 10-15 सेमी होनी चाहिए.
कब करें सिंचाई
डॉ. घनश्याम द्विवेदी के अनुसार, इसमें जैविक खाद के साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग जरूरी होता है. सरसों को 1-2 सिंचाई की जरूरत होती है, विशेषकर जब फली बन रही हो. सरसों में चेपा (Aphid) और माहू (Jassid) जैसे कीट लग सकते हैं, जिन्हें नीम के तेल या जैविक कीटनाशकों से नियंत्रित किया जा सकता है. सफेद सरसों में तना गलन और पत्ती धब्बा रोग हो सकता है, जिसके लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या सल्फर का छिड़काव किया जाता है. बुवाई के 90-100 दिन बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
क्या हैं फायदे
डॉ. घनश्याम द्विवेदी बताते हैं कि सफेद सरसों के कई फायदे हैं. इसका तेल के रूप में उपयोग होता है. हरी खाद (Green Manure) के रूप में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है. कीटों को नियंत्रित करने में सहायक है. सफेद सरसों एक बहुपयोगी फसल है, जो न केवल किसानों को आर्थिक लाभ देती है बल्कि जैविक खेती को भी बढ़ावा देती है. सही विधि अपनाने से इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
Location :
Gonda,Uttar Pradesh
First Published :
February 06, 2025, 20:41 IST