दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) प्रमुख अरविंद केजरीवाल से लेकर लंबे समय से उनके विश्वासपात्र रहे मनीष सिसोदिया, दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन और शिफा-उर-रहमान तक ऐसे कई उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जो भ्रष्टाचार और दंगों सहित विभिन्न मामलों में जेल जा चुके। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, किसी उम्मीदवार के जेल जाने से नेता के रूप में उनकी लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ता है। कुछ मामलों में अगर किसी नेता को जेल में जाने से जनता की सहानुभूति मिलती है, तो ये जरूरी नहीं कि इसका वोट पर भी असर पड़े।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था। लोकसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में प्रचार करने को लेकर उन्हें कुछ समय के लिए जमानत मिली थी। बाद में पिछले साल सितंबर में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश नहीं करने समेत कई अन्य शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वह तभी मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेंगे जब जनता उन्हें ईमानदार घोषित करेगी। इसके बाद पार्टी नेता आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं।
मुझे ‘चोर’ के रूप में पेश करना चाहती थी बीजेपी- केजरीवाल
विधानसभा चुनाव के लिए अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान केजरीवाल यह कहते रहे हैं कि उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि भाजपा उन्हें ‘चोर’ के रूप में पेश करना चाहती थी, लेकिन उनके ‘सबसे कट्टर दुश्मन’ भी मानते हैं कि वह भ्रष्ट नहीं हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को एक जनसभा में कहा, ‘‘वह घूम-घूम कर लोगों को गर्व से अपने जेल जाने के बारे में बता रहे हैं, जैसे कि वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल गए हों। वह शराब मामले, भ्रष्टाचार के मामले में जेल गए, उन्हें शर्म आनी चाहिए।’’
राजनीतिक विशेषज्ञों का क्या कहना है?
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अभिषेक गिरि के अनुसार, जेल जाने से उम्मीदवारों के चुनाव परिणाम पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘कई नेताओं के खिलाफ कुछ न कुछ आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन इन सबका उनके चुनावी करियर पर असर नहीं पड़ता। जहां तक अरविंद केजरीवाल की बात है तो उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा के रूप में देखा जाता था, इसलिए भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना निश्चित रूप से उनकी राजनीतिक छवि पर दाग के रूप में देखा गया।’’
सत्येंद्र जैन भी चुनावी मैदान में
इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप नेता संजय सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था। सिसोदिया को 17 महीने जेल में बिताने के बाद पिछले साल अगस्त में जमानत मिल गई थी और सिंह को अप्रैल में जमानत पर रिहा कर दिया गया था। ED द्वारा दर्ज लगभग 4.8 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले में 18 महीने से अधिक समय तक जेल में रहने वाले पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली की एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद तिहाड़ जेल से बाहर आए और वह भी इस बार चुनावी मैदान में हैं।
19% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले
इस चुनाव में जेल जा चुके उम्मीदवार के रूप में ताहिर हुसैन और शिफा-उर रहमान के नाम भी शामिल हैं, जिन्हें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने क्रमश: मुस्तफाबाद और ओखला से चुनाव मैदान में उतारा है। दोनों 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में संलिप्तता के आरोप में जेल में थे। चुनाव अधिकार संस्था ADR के विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे 19 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं और 2020 के चुनाव में ये आंकड़ा 20 प्रतिशत था। (भाषा इनपुट्स के साथ)
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