Last Updated:February 07, 2025, 18:29 IST
India vs England ODI: टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ 1-0 की बढ़त के बावजूद उलझन में है. यह उलझन रोहित शर्मा, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर और यशस्वी जायसवाल से जुड़ी है. अक्षर पटेल, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव की ति...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ 1-0 की बढ़त में उलझन में है.
- कोहली की फिटनेस से अय्यर और जायसवाल की जगह पर सवाल.
- जडेजा, अक्षर, कुलदीप की तिकड़ी कप्तान को सिरदर्द दे रही है.
इंग्लैंड के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त लेने के बावजूद टीम इंडिया पशोपेश में दिख रही है. सवाल सिर्फ इंग्लैंड के खिलाफ मैच या सीरीज जीतने का नहीं है. बिग पिक्चर के लिहाज से चैंपियन ट्रॉफी की प्लेइंग इलेवन तय करने की भी जिम्मेदारी कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच गौतम गंभीर को परेशान कर रही होगी. विराट कोहली जब अनफिट होने के चलते नागपुर में नहीं खेले तो हर किसी को लगा कि यशस्वी जायसवाल को ओपनर के तौर पर मौका सिर्फ इसी वजह से मिला है. टीम ने भी आधिकारिक तौर पर इस बात का खुलासा नहीं किया.
दूसरी ओर, श्रेयस अय्यर ने धुआंधार अर्धशतक लगाने के बाद पार्थिव पटेल के साथ बातचीत में बिना सवाल के ही ये बात दुनिया को बता दी कि वो दरअसल प्लेइंग इलेवन में होते ही नहीं अगर कोहली फिट होते! ऐसे में टीम इंडिया के सामने अब तीन बड़ी उलझनें हैं. नंबर 1 उलझन ये कि अगर कोहली फिट होकर आते हैं तो क्या अय्यर को मैच-जिताने वाला अर्धशतक लगाने के बावजूद भी टीम से बाहर किया जाएगा? सामान्य समय में या जीत के शानदार दौर से गुजरने वाली स्थिति में टीम मैनेजमेंट को ऐसे बोल्ड फैसले लेने से भी हिचक नहीं होती जैसा कि 2023 वर्ल्ड कप में मोहम्मद शमी को तब तक बाहर रखा गया जब तक कि हार्दिक पंड्या चोट के चलते बाहर नहीं हुए. अय्यर जो मध्य क्रम में बल्लेबाजी करते हुए (63 मैचों में) 102 का करियर स्ट्राइक रेट रखते हैं और साथ ही करीब 48 की काबिले-तारीफ औसत भी रखते हैं तो उन्हें कैसे फिर से हटाया जाए? बहुत सारे जानकार तो ये भी तर्क देंगे कि अगर अय्यर ने अर्धशतक नहीं भी लगाया होता और शून्य पर भी आउट हुए होते तो उन्हें टीम में होना ही चाहिए क्योंकि मध्य-क्रम में ऐसी आक्रामकता और सूझबूझ के साथ खेलने वाले बल्लेबाज इस टीम में नहीं हैं. और अनुभवी बल्लेबाजों की कतार में विराट कोहली और रोहित शर्मा ही उनसे बहुत आगे हैं जबकि केएल राहुल ने लगभग(78) उतने ही मैच खेले हैं. ऐसे में अगर जायसवाल और गिल को प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है और अय्यर को बाहर बैठना पड़ता है तो ये थोड़े से अजीब हालात होते हैं.
दूसरी उलझन ये कि कि अब अगर कोहली के फिट होने पर अय्यर को भी रखा जाता तो युवा जायसवाल को क्या जवाब दिया जाएगा? निश्चित तौर पर जायसवाल को इलेवन में लाने की वजह ये रही होगी कि वो युवा हैं, आक्रामक हैं, बाएं हाथ के टॉप ऑर्डर में पहले बल्लेबाज होंगे और टेस्ट और टी20 में खुद को साबित करने के बाद वो फिलहाल इकलौते ऐसे खिलाड़ी के तौर पर दिखते हैं जो तीनों फॉर्मेंट के लिहाज से अपने खेल और शैली में जरुरत पड़ने पर बदलाव ले आते हैं. कुल मिलाकर वो भविष्य के लिए एक बड़े खिलाड़ी हैं और उन्हें हर मौके मौजूदा फॉर्म के लिहाज से मिलने ही चाहिए. ऐसे में सिर्फ एक मैच की नाकामी के बाद उन्हें बाहर करने पर ये टीम मैनेजमेंट के लिए एक कदम आगे बढ़कर फिर दो कदम पीछे खिसकने वाला फैसला नहीं दिखेगा? मैच खत्म होने के बाद इस लेखक की बाचचीत टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन से ‘ऐश की बात’ शो में हुई और मैंने उनसे यही सवाल दागा. अश्विन ने कहा कि वाकई में ये उलझन तो बड़ी है लेकिन जायसवाल ने इस मैच में शतक या अर्धशतक नहीं लगाया वर्ना अगले मैच के लिए टीम मैनेजमेंट के सामने बहुत बड़ी परेशानी हो सकती थी.
तीसरी उलझन की तरफ भी इशारा करते हुए अश्विन ने कहा कि वरुण चक्रवर्ती अब वनडे सीरीज़ का हिस्सा हैं और उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी में भी ले जाया जा सकता है. लेकिन सवाल ये है कि अगर चक्रवर्ती दुबई जाते भी हैं तो वो प्लेइंग इलेवन में खेलेंगे किसकी जगह? रवींद्र जाडेजा को तो आप बाहर नहीं बैठा सकते. उन्होंने ना सिर्फ नागपुर में शानदार गेंदबाज़ी की बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत की तरह से सबसे ज़्यादा विकेट लेने वालों में कुंबले, अश्विन, हरभजन और कपिल देव के बाद के बाद वे 5वें सबसे कामयाब खिलाड़ी है. जडेजा की ही तरफ उन्हीं के अंदाज वाले हरफनमौला अक्षर पटेल को भी बाहर नहीं बिठाया जा सकता है क्योंकि उन्हें भी टीम निचलेक्रम की बजाय मध्य-क्रम में बल्लेबाज के तौर पर देख रही है. अक्षर ने हाल के सालों में अपनी बल्लेबाजी में काफी सुधार किया है और हर फॉर्मेट में वो संकटमोचक की भूमिका भी निभाते आ रहे हैं. वो बाएं हाथ के बल्लेबाज के तौर पर टीम इंडिया की बल्लेबाजी क्रम को संतुलन देते हैं क्योंकि विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए बाएं हाथ के ऋषभ पंत की जगह केएल राहुल खेल रहे हैं. कुलदीप यादव भी बाएं हाथ से ही गेंदबाजी करते हैं लेकिन वे चाइनामैन स्पिनर हैं और जडेजा-पटेल के मुकाबले ज़्यादा आक्रामक विकल्प हैं. और मिडिल ओवर्स में ना सिर्फ विकेट लेतें है बल्कि रनों पर अंकुश भी लगाते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या टी20 वर्ल्ड कप की तरह टीम इंडिया हर मैच में अभी बाएं हाथ की स्पिन तिकड़ी के साथ ही हर मैच में जाएगी और विविधता और चौंकाने वाले विकल्प के तौर पर चक्रवर्ती की जगह नहीं बनेगी?
इन तीन उलझनों के अलावा शायद सबसे बड़ी उलझन टीम इंडिया के लिए ये है कि आलोचक और पूर्व खिलाड़ी कप्तान रोहित शर्मा की बल्लेबाज़ी फॉर्म को टेस्ट क्रिकेट से जोड़ कर देख रहे हैं. नागपुर में कप्तान की बल्ले से नाकामी के बाद फिर से उनके हालिया टेस्ट रिकॉर्ड का आंकड़ा दिया जाने लगा. अब कोई ये तो नहीं कहेगा कि फिलहाल वनडे क्रिकेट में रोहित आईसीसी रैंकिग में दूसरे नंबर के बल्लेबाज़ हैं और पिछली वनडे सीरीज जो श्रीलंका में हुई थी वहां सबसे कामयाब बल्लेबाज भी थे. कप्तान रोहित को ये लग सकता है कि दुनिया और मीडिया उनके पीछे पड़ी है लेकिन भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के साथ ऐसा रवैया कोई नई बात नहीं है. जब बल्ला बोलेगा तो आलोचना का हल्ला अपने आप शांत हो जाएगा और उम्मीद यही की जानी चाहिए कि कटक वनडे और अहमदाबाद में आखिर मैच तक ना सिर्फ टीम इंडिया अपनी प्लेइंग इलेवन के संतुलन को हासिल कर लेगी बल्कि उनके सारे दिग्गज भी फिट होंगे और फॉर्म में होंगे. दुबई रवाना होने से पहले ये जरूरी है.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 07, 2025, 18:29 IST