नई दिल्ली. भारत की एक बड़ी जनसंख्या मिडिल क्लास है. अपर और मिडिल क्लास इस कैटेगरी का एक्सटेंशन है. भारत की इकोनॉमी को चलाने में मिडिल क्लास यानी मध्यमवर्गीय परिवारों का बड़ा योगदान है. लेकिन अब यही मिडिल क्लास खतरे में दिख रहा है और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने की आशंका है. मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिडिल क्लास अब आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और उसकी वजह से खपत में गिरावट दिख रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा मुख्य रूप से 3 कारणों से हो रहा है. पहला कारण है- टेक्नोलॉजी का आना, दूसरा- अर्थव्यवस्था में गिरावट का चक्र और घरों का बिगड़ता बजट. रिपोर्ट में कहा गया है कि वह नौकरियां जो कभी मिडिल क्लास की रीढ़ हुआ करती थी अब वह खत्म हो रही हैं क्योंकि लोगों को ऑटोमेशन व टेक्नोलॉजी से रिप्लेस किया जा रहा है. मार्सेलस ने इस बात का उल्लेख किया है कि क्लरिकल और सुपरविजन वाले पद लगातार खत्म हो रहे हैं.
दिग्गज भी सहमत
नेशनल स्टेटिस्टिकल कमीशन के पूर्व कार्यकारी चेयरमैन पी. सी. मोहनन का कहना है कि ऑटोमेशन और आउटसोर्सिंग के कारण मैनिजेरियल जॉब्स खत्म हो रही हैं. विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने भी कहा है कि एआई की वजह से कुछ नौकरियां खत्म होंगी.
बढ़ता कर्ज
रिपोर्ट में परिवारों पर बढ़ते कर्ज का भी जिक्र किया गया है. आरबीआई के डाटा के अनुसार, जीडीपी के अनुपात में नेट हाउसहोल्ड सेविंग 50 साल के सबसे निचले स्तर पर है. ग्रॉस सेविंग्स स्थिर बनी हुई हैं लेकिन बढ़ते असुरक्षित लोन्स ने लोगों की खर्च करने की क्षमता को प्रभावित किया है. नेस्ले इंडिया के एमडी, सुरेश नारायणन ने सिकुड़ते मिडिल क्लास के बारे में बात करते हुए कहा है कि यह सेल्स में गिरावट का मुख्य कारण हैं. उन्होंने बताया, “फूड और बेवरेज सेक्टर में जो ग्रोथ डबल डिजिट में हुआ करती थी आज 1.5-2 फीसदी ही है. हिन्दुस्तान यूनिलीवर के साथ भी यही ट्रेंड देखने को मिला है. शहरी मिडिल क्लास एफएमसीजी मार्केट का 2/3 हिस्सा होल्ड करता है और यहीं सेल्स में गिरावट दिख रही है.
मार्सेलस का कहना है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने वाली तिमाहियों में भले ठीक हो जाए लेकिन टेक्नोलॉजी और बढ़ते कर्ज के कारण जन्मीं समस्याएं ज्यादा जटिल दिखती हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 14:11 IST