Last Updated:February 04, 2025, 13:05 IST
Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है. 2020 में आप ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार मुकाबला कड़ा है. मुस्लिम समुदाय के वोटों पर भी सबकी नजर रहेगी. क्...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- इस बार के चुनाव में आप को बीजेपी से मिल रही है कड़ी चुनौती
- दिल्ली चुनाव में महत्वपूर्ण फैक्टर बनकर उभरे हैं मुस्लिम वोटर
- अगर मुस्लिम समुदाय का वोट बंटा तो प्रभावित हो सकते हैं परिणाम
Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. पांच फरवरी को मतदान होना है, जिसमें अब एक दिन से भी कम का समय बचा है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से कड़ी चुनौती मिल रही है. इन चुनाव में मुस्लिम वोटर एक महत्वपूर्ण फैक्टर बनकर उभरा है. अब जब मतदान में 24 घंटे से भी कम समय बचा है ऐसे में मुसलमान कई सवालों से जूझ रहे हैं और सतर्कता से अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. वे कौन सा बटन दबाते हैं इसका फैसला आठ फरवरी को मतगणना के दिन पता चलेगा.
2020 के विधानसभा चुनावों में दलितों और झुग्गी- झोपड़ी निवासियों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय ने आप की जीत सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में 62 सीटों पर हासिल की थी. आम आदमी पार्टी ने मध्य दिल्ली में मटिया महल और बल्लीमारान, दक्षिण पूर्वी दिल्ली में ओखला और उत्तर पूर्वी दिल्ली में सीलमपुर और मुस्तफाबाद समेत पांच सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. पार्टी ने 2020 के चुनावों में भी इन पांच मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम चेहरों को ही उम्मीदवार बनाया था. तब सभी ने भारी अंतर से अपनी सीटें जीती थीं.
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सात सीटों पर मुस्लिमों का दबदबा
दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ मतदाता हैं, लेकिन इसमें कितने मुसलमान हैं, इसका कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. 2011 की जनगणना में दिल्ली की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 12.9 प्रतिशत थी. विश्लेषकों का मानना है कि यह बढ़कर 15-18 प्रतिशत हो सकती है. दिल्ली की 70 सीटों में से कम से कम सात सीटों पर मुसलमानों का वोट प्रतिशत काफी अधिक है. कई अन्य सीटों पर भी वे नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं. पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में मुसलमानों ने बिना किसी संशय के बीजेपी के खिलाफ एकमुश्त वोट दिया था. लेकिन इस बार मुस्लिम समुदाय दुविधा में है, जिसकी वजह से उनका वोट बंट सकता है.
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क्या एक बार फिर आप को मिलेगा लाभ
हालांकि मुस्लिम समुदाय मुख्य तौर पर बीजेपी को हराने के लिए मतदान करता रहा है. जानकारों का कहना है कि मतदान का दिन करीब आने पर कई विकल्प मौजूद होने के बावजूद यह फिर से प्रमुख भावना बन सकती है. जाहिर है इससे आप को फायदा होगा. आप के पांच मुस्लिम उम्मीदवारों में से तीन नए चेहरे हैं जिन्हें मटिया महल, सीलमपुर और मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्रों से मैदान में उतारा गया है. मुस्तफाबाद उत्तर पूर्वी दिल्ली में सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक था. यह इलाका फरवरी 2020 में दंगों की चपेट में आया था, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे. आप से निकाले गए तीन मुस्लिम विधायक इसके 20 मौजूदा विधायकों में शामिल हैं जिन्हें पार्टी ने इस बार सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए टिकट देने से मना कर दिया है.
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एआईएमआईएम ने उतारे दो कैंडीडेट
इस बार मुस्लिम बहुत इलाकों में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने भी इस बार दो उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. एआईएमआईएम ने 2020 के दंगों में जेल में बंद समुदाय के उन लोगों को उम्मीदवार बनाया है जिन पर आरोप लगे थे या जो सीएए-एनआरसी विरोध में शामिल थे. उदाहरण के लिए, ओखला में एआईएमआईएम ने शिफा-उर-रहमान को मैदान में उतरा है, जो उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े यूएपीए मामले में आरोपी हैं. मुस्तफाबाद में एआईएमआईएम ने 2020 के दंगों के एक अन्य आरोपी ताहिर हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है. एआईएमआईएम ने पिछला दिल्ली चुनाव नहीं लड़ा था.
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कभी कांग्रेस के साथ था ये समुदाय
2015 के चुनावों से पहले, मुस्लिम मतदाताओं को दिल्ली में कांग्रेस के मजबूत समर्थन आधार का हिस्सा माना जाता था. इस समुदाय ने 1998-2013 के दौरान लगातार तीन कार्यकालों तक शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. शहर के मुस्लिम समुदायों के साथ कांग्रेस के ऐतिहासिक संबंधों से इनकार नहीं किया जा सकता. वहीं कांग्रेस भी अल्पसंख्यक समुदाय को वापस अपने पाले में लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. इस बार कांग्रेस ने सात सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.
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इस बार 32 मुस्लिम कैंडीडेट हैं मैदान में
प्रमुख दलों ने 2020 के दिल्ली चुनावों में कुल 16 मुस्लिम चेहरों को आजमाया था. इस बार उन्होंने इस संख्या को दोगुना कर 32 कर दिया है. विभिन्न छोटे दलों ने भी समुदाय के वोट में हिस्सेदारी के लिए कई मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. बसपा ने पांच सीटों – तुगलकाबाद, आदर्श नगर, संगम विहार, रिठाला और लक्ष्मी नगर में मुस्लिम चेहरों को उम्मीदवार बनाया है, जहां मुसलमानों की अच्छी-खासी संख्या है. बसपा वर्तमान में 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, पार्टी को 2020 में एक भी सीट नहीं मिली थी.
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बीजेपी ने नहीं उतारा कोई मुस्लिम उम्मीदवार
हालांकि बीजेपी ने कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है, लेकिन मुस्लिम इलाकों में अपने अभियान में वह ड्राइंग रूम बैठकों पर निर्भर है. पार्टी की दिल्ली इकाई के अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता , अन्य राज्य पार्टी इकाइयों के अल्पसंख्यक विंग के अपने समकक्षों के साथ मिलकर खामोशी से एक अभियान चला रहे हैं. खासकर ओखला, मुस्तफाबाद और सीलमपुर में मुस्लिम परिवारों की महिला सदस्यों तक पहुंच बना रहे हैं.
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और किसने उतारे मुस्लिम प्रत्याशी
अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने संगम विहार, मटिया महल, चांदनी चौक, बल्लीमारान, बदरपुर, जनकपुरी और मोती नगर सहित सात सीटों पर मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया है. राकांपा ने कुल 23 उम्मीदवार उतारे हैं. नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने चार सीटों – नरेला, किरारी, संगम विहार और छतरपुर – पर मुस्लिम चेहरों सहित 14 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. चूंकि मुस्लिम और दलित एएसपी (केआर) के मुख्य आधार का हिस्सा हैं, इसलिए पार्टी के उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त वोट भी आप की संभावनाओं पर असर डाल सकते हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 04, 2025, 13:05 IST