Agency:Local18
Last Updated:February 04, 2025, 15:01 IST
Uniform Civil Code successful Gujarat: उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने जा रहा है. राज्य सरकार ने आज इस बारे में महत्वपूर्ण घोषणा की है. इससे कई नियमों में बदलाव आएंगे. जानिए किस तरह के बदला...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- गुजरात में UCC लागू करने की घोषणा की गई.
- विवाह, तलाक, गोद लेने के नियमों में बदलाव होंगे.
- लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा.
अहमदाबाद: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घोषणा की है कि राज्य में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ या UCC (UNIFORM CIVIL CODE) लागू किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने आज महत्वपूर्ण घोषणा की है. राज्य सरकार द्वारा पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा, जो लोगों के सुझावों पर काम करेगी. अगर ऐसा होता है, तो उत्तराखंड के बाद गुजरात स्वतंत्रता के बाद ‘समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)’ लागू करने वाला दूसरा राज्य बनेगा. समान नागरिक संहिता (UCC) विवाह, तलाक, भरण-पोषण, संपत्ति के अधिकार, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करती है.
UCC सभी लोगों के लिए समान कानून है, चाहे उनका धर्म, जाति या समुदाय कोई भी हो. 2015 में सुप्रीम कोर्ट में UCC के कार्यान्वयन के लिए पहली बार याचिका दाखिल करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि इसका धर्म से कोई संबंध नहीं है. UCC के कार्यान्वयन के साथ कौन से नियम और कानून बदलेंगे और किसे कौन से अधिकार मिलेंगे, यह जानना भी महत्वपूर्ण है. आइए इनके बारे में जानें…
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से गुजरात में क्या बदलाव होंगे?
-विवाह को अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराना होगा. ग्रामसभा स्तर (gram sabha level) पर भी पंजीकरण (Registration) की सुविधा होगी.
-जाति, धर्म या समुदाय को ध्यान में रखे बिना तलाक के लिए एक समान कानून होगा. वर्तमान में, देश के हर धर्म के लोग अपने व्यक्तिगत कानूनों के माध्यम से इन मामलों का समाधान करते हैं.
-बहुपत्नी प्रथा यानी Polygamy पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष होगी, चाहे उनकी जाति या धर्म कोई भी हो.
सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार होगा, लेकिन दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा.
हलाला और इद्दत की प्रथाओं को बंद किया जाएगा. लड़कियों को लड़कों के बराबर ही विरासत में हिस्सा मिलेगा.
लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत कराना होगा. आधार कार्ड अनिवार्य होगा. 18 से 21 वर्ष की आयु के कपल को अपने माता-पिता का सहमति पत्र (consent letter) जमा करना होगा.
लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे को विवाहित कपल के बच्चे के बराबर अधिकार मिलेंगे.
समान नागरिक संहिता के इस ड्राफ्ट में, अनुसूचित जनजातियों (scheduled tribes) को पूरी तरह से बाहर रखा गया है. ट्रांसजेंडर और पूजा पद्धतियों और परंपराओं जैसी धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है.
First Published :
February 04, 2025, 15:01 IST