महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद
Dehradun: ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में दून हथकरघा (स्वयं सहायता समूह) और सूर्या एसएचजी फेडरेशन ने प्रेरणादायक पहल की है. ये समूह न केवल महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. देहरादून जिले के विकासनगर ब्लॉक में इन समूहों का विक्रय केंद्र स्थित है, जहां उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री होती है.
धीरे-धीरे लिया बड़ा रूप
इस पहल की शुरुआत वर्ष 2009-10 में की गई थी. धीरे-धीरे इसने एक व्यापक रूप ले लिया और आज यह कई महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की राह खोल रहा है. सूर्या एसएचजी फेडरेशन के अध्यक्ष रघुवीर सिंह चौहान ने लोकल18 से खास बातचीत में इस पहल की कहानी साझा की. उन्होंने बताया कि इस संगठन में 30 सदस्य हैं जिनमें से 25 महिलाएं हैं. इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया, ताकि वे न केवल खुद का सहारा बन सकें, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर सकें. रघुवीर सिंह चौहान ने बताया कि समय के साथ-साथ इसका सालान टर्न ओवर 15 से 20 लाख पहुंच गया.
महिलाओं के बनाए उत्पादों की बढ़ती मांग
यह पहल केवल सामाजिक सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यावसायिक रूप से भी सफलता प्राप्त कर रही है. इन समूहों की महिलाएं विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे अचार, बुरांश जूस (माल्टा, बेल, आंवला, नींबू, संतरा, अदरक, सेब, तुलसी, त्रिफला, पुदीना, गुलाब) बनाती हैं. सेब जैम, सेब चटनी, आंवला चटनी और पपीता जैम भी लोगों को खूब भा रहे हैं. मुरब्बा, जैविक मसाले समेत तकरीबन 70 उत्पाद यहां तैयार किए जाते हैं.
गर्मियों में पहाड़ी उत्पादों के जूस की खास मांग रहती है, जबकि सर्दियों में अदरक, लहसुन और आम के अचार की डिमांड सबसे अधिक होती है. गौरतलब है कि ग्राम्य विकास विभाग द्वारा वित्त पोषित इस पहल से अब महिलाएं सशक्त हो रही हैं.
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
जौनसार फ्रेश के नाम से बेचे जाने वाले इन उत्पादों का निर्माण चकराता, कालसी और विकासनगर की महिलाओं द्वारा किया जाता है. इन उत्पादों की आपूर्ति उत्तराखंड के अन्य हिस्सों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी होती है. फेडरेशन का उद्देश्य न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि देशभर में इन उत्पादों की पहचान बनाना है.
महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देने के लिए इन्हें उत्पाद निर्माण, पैकेजिंग, मार्केटिंग और बिक्री जैसे क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. इससे न केवल उनकी उत्पादकता बढ़ी है, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी आया है. कई महिलाएं, जो पहले घर की चारदीवारी तक सीमित थी, अब सफल उद्यमी बनकर सामने आ रही हैं.
सशक्त महिलाओं की नई पहचान
आज यह पहल महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी है. इन समूहों से जुड़ी महिलाएं अब न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं. दून हथकरघा और सूर्या एसएचजी फेडरेशन जैसी पहल साबित करती हैं कि अगर सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो ग्रामीण महिलाएं भी आत्मनिर्भरता और सफलता की ऊंचाइयों को छू सकती हैं. यह पहल समाज में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 13:12 IST