नक्काशी का ऐसा हुनर, मूर्ति देख कहेंगे जिंदा आदमी! बड़े कलाकार भी रह गए अचंभित

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Agency:News18 Haryana

Last Updated:February 12, 2025, 12:40 IST

Unique Carving Art: जयपुर के मोहम्मद सलीम कुरैशी ने मकराना संगमरमर पर नक्काशी को न सिर्फ कला, बल्कि सफल व्यवसाय में बदला है. उनकी अनूठी मूर्तियां बिना जोड़ के बनाई जाती हैं, जिनकी कीमत लाखों में होती है. उनकी क...और पढ़ें

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मकराना

मकराना संगमरमर पर सलीम कुरैशी की बेमिसाल नक्काशी.

हाइलाइट्स

  • मोहम्मद सलीम कुरैशी मकराना संगमरमर पर नक्काशी करते हैं.
  • गौतम बुद्ध, शेर, हाथी की मूर्तियां बनाते हैं.
  • उनकी कलाकृतियां देशभर में प्रसिद्ध हैं.

फरीदाबाद. जयपुर के रहने वाले मोहम्मद सलीम कुरैशी ने अपनी मेहनत और हुनर से न सिर्फ अपनी कला को एक नई पहचान दी है बल्कि इसे एक सफल व्यवसाय में भी बदल दिया है. वह मकराना पत्थर पर बारीक नक्काशी करने में माहिर हैं और उनकी बनाई मूर्तियां व कलाकृतियां देशभर में प्रसिद्ध हो रही हैं.

सलीम कुरैशी का यह पेशा पारंपरिक है, जिसे वह पीढ़ियों से संजोए हुए हैं. उनका कहना है कि मकराना का संगमरमर अपनी मजबूती और सुंदरता के लिए मशहूर है और इसी पर वे हाथ से नक्काशी कर अनूठी कृतियां तैयार करते हैं. उनकी टीम में करीब 8-9 कारीगर हैं, जो महीनों की मेहनत से एक-एक मूर्ति को तराशते हैं.

बिना जोड़ की अनूठी मूर्तियां
उनकी कला में सबसे खास हैं गौतम बुद्ध, हाथी, शेर और घोड़े की मूर्तियां, जो एक ही पत्थर को तराशकर बनाई जाती हैं. बिना किसी जोड़ के तैयार इन मूर्तियों में महीनों की मेहनत लगती है. उदाहरण के लिए, शेर के एक जोड़े को बनाने में करीब छह महीने का समय लगता है और इसकी कीमत साढ़े तीन लाख रुपये होती है. इसी तरह, गौतम बुद्ध की मूर्ति डेढ़ से दो महीने में तैयार होती है और इसकी कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये होती है

विभिन्न कलाकृतियां और उनकी कीमतें
इसके अलावा, सलीम कुरैशी और उनकी टीम संगमरमर से वाटर फाउंटेन, हाथी के जोड़े और इमाम दस्ता भी बनाते हैं. पांच फीट ऊंचे वाटर फाउंटेन की कीमत करीब 1 लाख 30 हजार रुपये है. वहीं, हाथी के जोड़े की कीमत ढाई लाख रुपये तक जाती है. इमाम दस्ता, जो मसाले कूटने के काम आता है, महज 300 रुपये से शुरू होता है.

बारीक नक्काशी का जटिल हुनर
संगमरमर पर नक्काशी करना आसान नहीं होता. पहले पत्थर को ग्राइंडर से काटा जाता है, फिर महीनों तक हाथ से नक्काशी की जाती है. हर मूर्ति में बारीक डिजाइन और परंपरागत शैली का खास ध्यान रखा जाता है.

देशभर में मिल रही सराहना
आज उनकी कलाकृतियों को देशभर से सराहना मिल रही है और लोग इन्हें अपने घरों, दफ्तरों और होटलों की शोभा बढ़ाने के लिए खरीद रहे हैं. सलीम कुरैशी की मेहनत और हुनर ने उन्हें एक नई पहचान दी है और उनके व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.

Location :

Faridabad,Haryana

First Published :

February 12, 2025, 12:37 IST

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नक्काशी का ऐसा हुनर, मूर्ति देख कहेंगे 'जिंदा आदमी'... बड़े कलाकार भी अचंभित!

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