विवाह मंडप से लेकर शमशान तक का सफर तय करती है ये चीज, इसके बिना नहीं होते फेरे

2 hours ago 1

Agency:News18 Uttar Pradesh

Last Updated:February 12, 2025, 14:59 IST

Ballia: शादी में इस्तेमाल होने वाले बहुत से आइटम में से एक होता है सिंहोरा. इसके बिना लड़कियों का सुहाग अधूरा माना जाता है. इसे लड़की सिंदूर भरकर विदाई में अपने साथ लाती है जो शमशान तक साथ रहता है.

X

सिंहोरा

सिंहोरा तैयार करते कारीगर 

हाइलाइट्स

  • सिंहोरा के बिना अधूरी मानी जाती है शादी.
  • हनुमानगंज गांव में बनता है सिंहोरा.
  • आम की लकड़ी से तैयार होता है सिंहोरा.

बलिया: लगन का समय आते ही बलिया के हनुमानगंज गांव का नाम चर्चा में आ जाता है. यह वही गांव है, जहां प्राचीन काल से महिलाओं के लिए एक जरूरी चीत ‘सिंहोरा’ तैयार की जाती है. महिलाएं इसे आजीवन बड़े जतन से संजोकर रखती हैं. हालांकि पहले यह गांव सिंहोरा निर्माण के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अब इसकी मांग धीरे-धीरे कम होती जा रही है. बदलते समय के साथ चीजें बदली हैं और अब इनकी डिमांड पहले जैसी नहीं रही.

इसके बिना नहीं होती शादियां
बुजुर्ग राजेश कुमार पांडेय और बालेश्वर सिंह बताते हैं कि सिंहोरा विवाह संस्कार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. सिंहोरा दुल्हन के मायके से डोली के साथ ससुराल आता है और पति की मृत्यु के बाद अर्थी के साथ ही विदा होता है. इसे वेदों में देव वृक्ष कहे जाने वाले आम की लकड़ी से तैयार किया जाता है.

इसकी हिंदू धर्म में और खासकर विवाह रस्मों में बहुत अहमियत है. इसके बिना शादियां नहीं होती और लड़की की शादी की खरीदारी का ये अहम हिस्सा होता है. दरअसल ये सुहाग की निशानी है इसलिए इसके बिना शादी-विवाह पूरे नहीं होते.

कैसे होता है तैयार
सिंहोरा के थोक व्यापारी नंदू प्रसाद बताते हैं कि इसे बनाने के लिए दो से तीन फीट व्यास और डेढ़ फीट लंबी आम की लकड़ी को पहले धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद रूखानी, कुल्हाड़ी और बिजली की मशीनों से इसे आकार दिया जाता है. तब जाकर इसमें सिंदूर भरते हैं शादि के समय इस्तेमाल किया जाता है.

परंपरा और विरासत का हिस्सा
पहले के समय में सिंहोरा कम बनने के कारण व्यापारी महीनों तक इसके तैयार होने का इंतजार करते थे. हनुमानगंज के सिंहोरा की मांग मऊ, जौनपुर, आरा, छपरा, बक्सर, सिवान, गाजीपुर, वाराणसी, प्रयागराज, चंदौली, गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ तक थी. यह व्यवसाय यहां के लोगों के लिए न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि उनकी परंपरा और विरासत का हिस्सा भी है.

Location :

Ballia,Uttar Pradesh

First Published :

February 12, 2025, 14:59 IST

homeuttar-pradesh

विवाह मंडप से लेकर शमशान तक का सफर तय करती है ये चीज, इसके बिना नहीं होते फेरे

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article