नर्मदा नदी के पत्थरों को शिवलिंग क्यों माना जाता है? जानें मान्यता और पूजा लाभ

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Last Updated:February 05, 2025, 10:04 IST

Narmada River stones : नर्मदा नदी के पत्थरों को शिवलिंग माना जाता है जिन्हें नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते हैं. इनकी पूजा से परिवार में मंगल होता है और रोग दोष दूर होते हैं. नर्मदा के पत्थरों को शिव का स्वरूप माना जा...और पढ़ें

नर्मदा नदी के पत्थरों को शिवलिंग क्यों माना जाता है? जानें मान्यता और पूजा लाभ

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हाइलाइट्स

  • नर्मदा नदी के पत्थरों को शिवलिंग माना जाता है.
  • नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से परिवार में मंगल होता है.
  • नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित किया जा सकता है.

Narmada River Stones : चमत्कारों का देश है भारत. समय-समय पर यहां भगवान ने अवतार लेकर तमाम लीलाओं को किया है. लोक कल्याण की भावना से प्रभु ने अनेकों अवतार लिए हैं. तमाम मान्यताओं के आधार पर यहां लोगों में पूजा पाठ और परंपराओं का निर्वहन भी किया जाता है. इसी मान्यताओं में एक पुरानी मान्यता है कि नर्मदा नदी के अंदर जितने भी कंकर हैं वे सब शिवलिंग माने जाते हैं. नर्मदा नदी के पत्थर को क्यों शिवलिंग माना जाता है लिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

इस शिवलिंग की पूजा से करोड़ों गुना फल मिलता है : नर्मदा नदी की अंदर जितने भी पत्थर हैं उन्हें शिवलिंग माना जाता है इन शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते हैं. इस शिवलिंग को घरों में स्थापित किया जा सकता है. मान्यता है यह बहुत ही चमत्कारी शिवलिंग होते हैं. इन्हें साक्षात शिव का स्वरूप माना जाता है जो की लोक कल्याण के लिए स्वयं प्रकट हुए हैं. नर्मदेश्वर शिवलिंग को शब्द वाणलिंग भी कहते हैं. शास्त्रों में वर्णित है कि स्वर्ण निर्मित शिवलिंग की पूजन से करोडो गुना फल प्राप्त होता है. स्वर्ग से करोडो गुना अधिक मणि और मणि से करोडो गुना अधिक फल नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजन से प्राप्त होता है.

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घर में कर सकते हैं स्थापित : इस शिवलिंग को घरों में स्थापित कर सकते है. इसकी प्राण प्रतिष्ठा की कोई आवश्यकता नहीं होती है गृहस्थ लोगों को बाढ़ लिंग शिवलिंग की पूजा प्रतिदिन करनी चाहिए. इसकी प्रतिदिन पूजा करने से परिवार में मंगल होता है एवं समस्त प्रकार के रोग दोष और सुख दूर हो जाते हैं. नर्मदेश्वर शिवलिंग पर चढ़ाई हुई वस्तुओं को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं.

पत्थर कैसे बने शिवलिंग : प्राचीन काल में नर्मदा नदी में बहुत कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया. ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर नर्मदा जी से वर मांगने को कहा तब माता नर्मदा ने कहा हे प्रभु मुझे गंगा जी जितना नाम और पवित्रता प्रदान करें. ब्रह्मा जी ने कहा यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले कोई दूसरा देवता भगवान विष्णु के समान हो जाए कोई दूसरी नई माता पार्वती के समान हो जाए तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो जाएगी. इस बात को सुनकर माता नर्मदा नाराज होकर काशी चली गई और वहां पिल्पिला तीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगी. उनकी तब से भोलेनाथ बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बार मांगने को कहा.

तब नर्मदा ने कहा साधारण वर मांगने से क्या लाभ है बस मैं चाहती हूं कि मेरी भक्ति आपके श्री चरणों में बनी रहे. नर्मदा की बात सुनकर भगवान शंकर प्रसन्न हो गए और बोले नर्मदे तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं विश्व मेरे वरदान से आज से शिवलिंग स्वरूप हो जाएंगे गंगा में स्नान करने पर शीघ्र ही पाप का नाश होता है यमुना में 7 दिन के स्नान और सरस्वती नदी में 3 दिन के स्नान से सब पापों का नाश हो जाता है पर तुम अपने दर्शन मात्र से ही लोगों का संपूर्ण दोष और पापों निवारण कर दोगी. नर्मदेश्वर शिवलिंग लोगों के लिए पुणे और मोक्ष देने वाला होगा भगवान शंकर इस शिवलिंग में लीन हो गए इतनी अधिक पवित्रता पाकर नर्मदा भी प्रसन्न हो गई इसलिए उसे दिन से आज तक नर्मदा का हर कंकड़ शंकर होता है.

First Published :

February 05, 2025, 10:04 IST

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