Agency:News18 Rajasthan
Last Updated:February 12, 2025, 13:51 IST
राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू में एक झील को आज भी अधूरे प्यार की निशानी के रूप में पहचाना जाता है. यहां एक शिल्पकार को राजकुमारी से प्रेम होने के बाद उससे शादी करने के लिए एक ही रात में नाखून से झील खोद दी थ...और पढ़ें
रसिया बालम मंदिर और नक्की झील
हाइलाइट्स
- माउंट आबू की नक्की झील अधूरे प्यार की निशानी है.
- शिल्पकार रसिया बालम ने राजकुमारी के लिए नाखून से झील खोदी.
- राजकुमारी की मां की साजिश से रसिया बालम की प्रेम कहानी अधूरी रह गई.
सिरोही:- वेलेंटाइन डे को प्यार करने वालों का दिन माना जाता है. आज हम आपको एक ऐसे प्यार की कहानी बताने जा रहे हैं, जो पूरी होकर भी अधूरी रह गई. आपने ताजमहल को प्यार की निशानी के रूप में तो सुना होगा, लेकिन राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू में एक झील को आज नहीं, सदियों से अधूरे प्यार की निशानी के रूप में पहचाना जाता है. यहां एक शिल्पकार को राजकुमारी से प्रेम होने के बाद उससे शादी करने के लिए एक ही रात में नाखून से झील खोद दी थी.
मगर इस असम्भव काम को करने के बाद भी एक साजिश के चलते राजकुमारी से शादी नहीं हो सकी. आज भी नक्की झील के पास इनका पुराना मंदिर इस कहानी का साक्षी है. हम बात कर रहे हैं रसिया बालम और कुंवारी कन्या मंदिर की. माउंट आबू की नक्की झील समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर बनी राजस्थान की सबसे ऊंची झील है. करीब ढाई किलोमीटर क्षेत्र में फैली इस झील के चारों तरफ अरावली की पहाड़ियां हैं.
नाखून से झील खोदने के बाद भी अधूरा रह गया प्यार
इस झील को लेकर प्रसिद्ध लोक कथा के अनुसार, करीब 5 हजार साल पहले रसिया बालम नामक शिल्पकार, जो माउंट आबू में काम करने आया था. उसने एक युवती को देखा, जो राजा की बेटी थी. रसिया बालम को पहली ही नजर में राजकुमारी से प्यार हो गया. राजा ने अपनी बेटी की शादी करवाने के लिए शर्त रख दी कि जो कोई एक रात में बिना किसी औजार के यहां झील बना देगा, उसी से वह अपनी बेटी की शादी करवाएंगे. रसिया बालम ने इस शर्त को स्वीकार करते हुए रात में नाखून से पहाड़ी पर झील खोदना शुरू कर दिया.
जैसे ही राजकुमारी की मां को लगा कि ये मजदूर रातभर में झील खोदकर उसकी बेटी से शादी कर लेगा, तो उसने एक साजिश रची. भोर होने से पहले ही राजकुमारी की मां ने मुर्गे की बांग दे दी. इससे रसिया बालम को लगा कि वह शर्त हार गया है और उसकी प्रेमिका की शादी किसी और से हो जाएगी. वो अपनी जान देने के लिए निकल पड़ा. इससे निराश होकर उसने वहीं पर अपने प्राण त्याग दिए. मरने से पहले उसे राजकुमारी की मां के छल के बारे में पता लगा, तो उसने राजकुमारी की मां को श्राप देकर पत्थर की मूर्ति बना दी.
मंदिर में इस जगह पत्थर मारते हैं विवाहित महिलाएं
नक्की झील से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर देलवाड़ा क्षेत्र में बने रसिया बालम और कुंवारी कन्या मन्दिर में भक्तों की गहरी आस्था है. मान्यता है कि राजकुमारी की मां की वजह से रसिया बालम की प्रेम कहानी अधूरी रहने के बाद यहां एक जगह पर पत्थरों का ढेर लगा हुआ है. इस पत्थरों के ढेर के नीचे राजकुमारी की मां की मूर्ति है. यहां विवाहित महिलाएं मूर्ति पर पत्थर फेंकती हैं.
रसिया बालम को मानते हैं शिव का अवतार
मंदिर में भक्त रसिया बालम को शिव का रूप और राजकुमारी को देवी का रूप मानकर पूजा अर्चना करते हैं. कहते हैं कि मंदिर में प्रेमी जोड़ों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और विवाहित महिलाओं को भी सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद मिलता है. इस मंदिर का इतिहास 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है. 1453 से 1468 तक महाराणा कुंभा भी यहां रुके थे और उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था.
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लोकगीतों में अमर है रसिया बालम की कथा
आज भी राजस्थान के लोकगीतों और यहां की परंपराओं में रसिया बालम की कथा सुनाई जाती है. माउंट आबू समेत पूरे गोडवाड़ क्षेत्र में रसियो आयो गढ़ आबू रे माय लोकगीत काफी प्रसिद्ध है, जिसमें रसिया बालम के माउंट आबू पहुंचने, देलवाड़ा के पास मूर्ति बनाने और नक्की झील खोदने की अधूरी प्रेम कहानी को बयां किया गया है. नाखून से ये झील बनाने की वजह से इसे नक की झील और समय के साथ अपभ्रंश होकर नक्की झील नाम हो गया. नक्की झील माउंट आबू की मीठे पानी की झील है. इसके पानी का उपयोग शहर में गर्मियों में सप्लाई में भी किया जाता है.
Location :
Sirohi,Rajasthan
First Published :
February 12, 2025, 13:51 IST
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