नेतन्‍याहू की कसम टूटी और हो गया काम, ट्रंप ने बाइडन को कैसे किया मजबूर?

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इजरायल और हिजबुल्‍लाह के बीच सीजफायर की घोषणा से पश्चिम एशिया में शांति की उम्‍मीद बंधी है. इजरायल और हिजबुल्‍लाह के बीच सीजफायर की घोषणा से पश्चिम एशिया में शांति की उम्‍मीद बंधी है.

तेल अवीव/बेरूत. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू ने लेबनान स्थित हिजबुल्‍लाह के साथ सीजफायर की घोषणा की है. इससे हिंसा की आग में झुलस रहे वेस्‍ट एशिया में शांति की राह खुलने की उम्‍मीद बढ़ी है. हिजबुल्‍लाह की तरह ही क्‍या हमास के साथ भी इसी तरह के समझौत होंगे, यह फिलहाल भविष्‍य के गर्भ में है. किसी युद्ध का अंत एकदम से हो जाए इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती है. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच सीजफायर का ऐलान हो गया. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सिक्योरिटी कैबिनेट की बैठक के बाद खुद इस बात की घोषणा की है. बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस सीजफायर का एलान कर दिया. हांलाकि इजरायल ने यह भी साफ कर दिया कि अगर हिज़्बुल्लाह ने संघर्ष विराम के दौरान किसी भी तरह की हिमाक़त करने की कोशिश की तो सीजफायर टूट जाएगा और इजरयल दोगुनी ताक़त से जवाब देगा.

नेतान्याहू ने अपने संबोधन में कहा कि हमले हिजबुल्लाह को कई साल पीछे धकेल दिया है. उनके लीडर नसरल्लाह को भी मार गिराया गया है. हांलाकि, सीजफायर के ऐलान के बाद हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक परिषद के उपाध्यक्ष महमूद क़माती का एक बयान आया था, जिसमें कहा गया कि उन्‍हें नेतन्याहू की प्रतिबद्धता पर शक है, क्योंकि उन्होंने हमें धोखे का आदी बना दिया है. कमाती ने कहा कि हम उन्हें समझौते में फंसाने की अनुमति नहीं देंगे. सीजफायर के ऐलान से पहले और बाद में भी लगातार इज़राइली एयरफोर्स की ताबड़तोड़ हमले किए. इज़राइली एयरफ़ोर्स ने इंटेलिजेंस बेस्ड स्ट्राइक को अंजाम दिया है. संघर्ष विराम से पहले शाम को बेरूत और इसके आसपास में कुल 20 टार्गेट को निशाना बनाया गया.

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इजरायली एयरफोर्स का टार्गेटेड अटैक
इजरायली एयरफोर्स ने 13 टार्गेट में हिज़्बुल्लाह के एरियल डिफेंस यूनिट सेंटर, इंटेलिजेंस सेंटर, कमांड सेक्टर, वेपन स्टोरेज, ऑपरेशन रूम, आर्टिलरी स्टोरेज फैसिलिटी और आतंकी  इंफ्रास्ट्रकचर साइट को निशाना बनाया है. वहीं, 16 टार्गेट में हिज़्बुल्लाह के फ़ाइनेंशियल सिस्टम जिसमें हेडक्वार्टर, स्टोरेज फैसिलिटी और अल कर्द अल हसन एसोसिएशन की ब्रांच (जिसका इस्तेमाल हिज़्बुल्लाह टेरेरिस्ट फंड जमा करने और निकालने के लिए इस्तेमाल करते हैं) को निशाना बनाया गया. रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक कुमार मानते हैं कि यह (सीजफायर) लेबनान के लोगों के अलावा इज़राइल के लिए अच्छी ख़बर है, क्योंकि पिछले एक साल से ज़्यादा समय से इज़रायल हमास के साथ लड़ रहा है और फिर हिज़्बुल्लाह और इरान के साथ भी दो-दो हाथ किए. इज़राइली सेना को भी रेस्ट और पावर को इकट्ठा करने का मौक़ा मिलेगा, लेकिन इस बात का भी डर है कि इस सीजफायर के समय का इस्तेमाल हिज़्बुल्लाह भी अपने को रीग्रुप करने के लिए कर सकता है. इसकी संभावना ज़्यादा है.

सीजफायर के पीछे बाइडन या ट्रंप?
अमेरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जाते-जाते इजरायल-हिजबुल्‍लाह के बीच सीजफायर का तमग़ा अपने कंधे पर लगा ही लिया है. रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर शारदेन्दु का मानना है कि यह बाइडन नहीं, बल्कि ट्रंप की नीतियों की वजह से ही बाइडन को यह स्टेप लेना पड़ा. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले तक तो सीजफायर का जिक्र तक सामने नहीं आया था, लेकिन चुनाव के नतीजों के कुछ ही दिन में सीज फायर के लिए बेंजामिन नेतन्याहू को भी मना लिया गया. वह हिजबुल्लाह को जड़ से खत्म करने की क़सम खाए बैठे थे, लेकिन उनकी क़सम टूटी और सीजफायर एग्रीमेंट पर दस्तख़त भी हो गए. यह दिखाता है कि ट्रंप के आने से पहले उनका असर दिखना शुरू हो गया है.

बाइडन का कार्यकाल
चार साल के कार्यकाल की बात करें तो जो बाइडन के कार्यकाल में ही रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ. करोड़ों डॉलर की मदद यूक्रेन को न सिर्फ खुद दी, बल्कि NATO देशों से भी दिलवाई, लेकिन यूक्रेन ने रूस के कुर्सक की 1000 वर्ग किलोमीटर की जमीन पर कब्जा किया, लेकिन पूरा यूक्रेन तबाह हो गया. रूस ने तो फिर भी यूक्रेन के कई बड़े हिस्से पर अपना कब्जा बरकरार रखा है, लेकिन अमेरिका को हासिल कुछ नहीं हुआ. ठीक उसी तरह से अमेरिका और ईरान के बीच की अघोषित जंग जो कि इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच चली जंग में भी सिर्फ पैसा और हथियार खर्च हुआ. इससे कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ. हांलाकि, हमास और हिज़्बुल्लाह का सफ़ाया ज़रूर हो गया. रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर शारदेन्दु का मानना है कि ट्रंप की नीतियों की वजह से ही बाइडन को यह स्टेप लेना पड़ा. खास बात यह है कि ट्रंप ने पहले ही साफ किया है कि वो युद्धकों को लेकर अपना रुख साफ कर दिया था. एग्रीमेंट तो लेबनान और इज़राइल के बीच हुआ है और यह पेपर पर है. हिजबुल्लाह भले ही लेबनान का एक राजनीतिक दल के तौर पर सरकार पर पकड़ बनाए रखता है और ईरान के नक्‍शे कदम पर ही चलता है.

Tags: Hamas onslaught connected Israel, International news, Middle east

FIRST PUBLISHED :

November 27, 2024, 17:45 IST

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