Last Updated:February 04, 2025, 18:17 IST
सनातन धर्म में कई नियम ऐसे हैं, जो देखने में सामान्य महसूस हों, लेकिन असल में उनके पीछे गहरी वैज्ञानिक सोच होती है. योतिष शास्त्र के अनुसार पत्नी को हमेशा पति के बाएं ओर ही सोना चाहिए. जानिए ज्योतिषाचार्य...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- पत्नी को पति के बाएं ओर सोना चाहिए.
- चंद्र नाड़ी शांति और भावनात्मक संतुलन देती है.
- सही दिशा में सोने से रिश्तों में सामंजस्य बढ़ता है.
सनातन धर्म में विवाह के समय पत्नी को पति के वाम अंग यानी बायी तरफ आने को कहा जाता है. इसके बाद जब भी कभी पूजा या कोई धार्मिक अनुष्ठान होता है, तो पत्नी हमेशा पति के वाम अंग में ही बैठती है. पत्नी को वामंगी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है बाएं अंग की अधिकारी. सिर्फ अनुष्ठान में ही नहीं बल्कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पत्नी को हमेशा पति के बाएं ओर ही सोना चाहिए. यह सिर्फ एक वैदिक नियम नहीं है, बल्कि इसका संबंध हमारे मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है. सनातन धर्म में कई नियम ऐसे हैं, जो देखने में सामान्य महसूस हों, लेकिन असल में उनके पीछे गहरी वैज्ञानिक सोच होती है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य अंशु शर्मा से कि आखिर पत्नी को पति के बाएं तरफ ही क्यों सोना चाहिए.
शरीर की सूर्य नाड़ी और चंद्र नाड़ी
ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ अंशु शर्मा बताती हैं कि पत्नी के बाएं तरफ सोने के पीछे हमारे शरीर की सूर्य नाड़ी और चंद्र नाड़ी हैं. सूर्य नाड़ी हमारे शरीर के दाहिनी ओर स्थित होती है और ऊर्जा, उत्साह और निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाती है. वहीं चंद्रनाड़ी हमारे शरीर के बाईं ओर स्थित होती है, जो सौम्यता, शांति और भावनात्मक संतुलन को दर्शाती है. चंद्र नाड़ी, इसे ईड़ा नाड़ी भी कहते हैं. इसका संबंध चंद्रमा (चंद्र) के शीतलता और शांतिप्रद प्रकृति से है. जब यह नाड़ी प्रधान होती है, तो व्यक्ति अधिक शांत और प्रशांत अनुभव करता है. चंद्र नाड़ी की सक्रियता से शरीर और मन को ठंडा और आरामदायक अहसास होता है. वहीं इसके उलट सूर्य नाड़ी हमारे सूक्ष्म शरीर में एक प्रमुख नाड़ी है, जिसे आमतौर पर पिंगला नाड़ी भी कहा जाता है. सूर्य नाड़ी सूर्य की तरह गर्म, प्रकाशमान और सक्रिय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है.
क्यों सोना चाहिए पत्नी को बाएं तरफ
जब पति-पत्नी साथ होते हैं तो पत्नी का बाएं ओर रहना भावनात्मक सामंजस्य, रिश्तों में मधुरता को प्रबल बनाता है. वहीं पति के दाहिनी ओर होना उसके निर्णय लेने की क्षमता और ऊर्जा और उत्साह को प्रभावित करता है. इस तरह रिश्तों में सौम्यता और सामंजस्य के लिए सही दिशा में सोना अनिवार्य है. चंद्र नाड़ी की सक्रियता से शारीरिक शीतलता और आराम प्राप्त होता है. इससे मन की विचलन, चिंता और तनाव में कमी होती है. चंद्र नाड़ी के संतुलित और सक्रिय होने से अनेक स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. यह पाचन, नींद और ह्रदय की गति में सुधार कर सकती है.
First Published :
February 04, 2025, 18:17 IST