परिवार में रहता हो तनाव, यह थेरेपी दूर करती मनमुटाव, आमिर ने इसे बताया जरूरी

3 days ago 1

बॉलीवुड एक्टर आमिर खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया. एक्टर ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी इरा खान के साथ जॉइंट थेरेपी ली जिससे दोनों का रिश्ता बेहतर हुआ. जो भी उनके बीच इश्यू थे, वह दूर हो गए. हर घर में फैमिली इश्यू होते ही हैं. कहीं हस्बैंड-वाइफ की नहीं बनती, कहीं मां-बेटी की नहीं पटती तो कहीं पिता-बेटा एक-दूसरे से बात नहीं करते. जब परिवार के दो सदस्यों के विचार आपस में मिलते नहीं हैं तो बेवजह घर में तनाव रहता है और रिश्ते बिगड़ने लगते हैं. ऐसे में जॉइंट थेरेपी लेना बहुत जरूरी है. 

लोगों के बीच भ्रम है
मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि हमारी सोसाइटी में अक्सर लोग सोचते हैं कि मनोचिकित्सक के पास तभी जाना चाहिए, जब इंसान को कोई मानसिक बीमारी हो, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर रिश्तों में मनमुटाव हो, दिल में एक-दूसरे के लिए कड़वाहट हो तो तब भी थेरेपी ली जाती है और यह रिश्तों को मजबूत बनाने में बहुत मदद करती है.  जॉइंट थेरेपी को फैमिली थेरेपी भी कहते हैं. कई बार व्यक्ति अपने मन की बात परिवार के दूसरे सदस्य से नहीं कर पाता और मन कड़वाहट से भर जाता है. जॉइंट थेरेपी में दोनों व्यक्तियों के मन के बात पूछी जाती. उनके मन के बोझ को हल्का किया जाता है. जब दोनों का इमोशनल भार कम होता है तो वह एक-दूसरे को माफ करते हैं. इससे उनके रिश्ते में नयापन आता है.

कम्यूनिकेशन होता है बेहतर
अगर पिता का बेटी या बेटे या मां का बेटी या बेटे से नहीं बनती या हस्बैंड-वाइफ के बीच मनमुटाव है या परिवार के किसी भी दो सदस्यों के बीच कुछ भी ठीक नहीं है, तो उनके बीच सबसे पहले बातचीत बंद हो जाती है. जब कम्यूनिकेशन नहीं होता तो मिसअंडरस्टैंडिंग बढ़ने लगती है. कौन सही है, कौन गलत है या मुद्दा क्या था, इन सब से हटकर बात ईगो पा आ जाती है. जब इस तरह के दो सदस्य आमने सामने बैठते हैं तो उनके बीच लड़ाई शुरू हो जाती है क्योंकि शांत दोनों ही नहीं बैठते. जब ऐसे लोग थेरेपिस्ट के पास आते हैं तो सबसे पहले उनके बीच कम्यूनिकेशन हो, यह सुनिश्चित किया जाता है. दोनों से शांति से पूछा जाता है कि किस वजह से ऐसा हो रहा है. जब शांत रहते हुए बातचीत होती है तो प्रॉब्लम सॉल्व होने लगती है. 

जॉइंट थेरेपी पैरेंट्स, बच्चे, हसबैंड-वाइफ कोई भी एक साथ ले सकता है (Image-Canva)

पैरेंट्स हावी होने की कोशिश करते हैं
अगर किसी बच्चे के मां या पिता से रिश्ते मधुर नहीं होते तो इसका कारण उनके बचपन में छुपा होता है. दरअसल पैरेंट्स हमेशा  बच्चों पर हावी होने की कोशिश करते हैं और अपनी बात उन पर थोपते हैं. अक्सर पैरेंट्स बच्चों की राय नहीं पूछते. हर पैरेंट्स को यह समझना जरूरी है कि उनके बच्चे की भी अपनी अलग पर्सनैलिटी है. वह अपनी पसंद या नापसंद की चीजें करने के आजाद हैं. बच्चा भी कुछ सोचता है. लेकिन पैरेंट्स की नजर में उनका बच्चा हमेशा छोटा ही रहता है और कहीं ना कहीं यह जनरेशन गैप की वजह बन जाती है. जब बच्चा मां-पिता की बात नहीं मानता है और हमेशा डांट खाता है तो उसके मन में नेगेटिविटी आने लगती है.     

घरेलू हिंसा देखता है बच्चा
जो बच्चे अपने पिता से दूर होने लगते हैं, उसके पीछे का कारण उनकी मां होती है. दरअसल कुछ घरों में औरतों के साथ उनके पति सही तरीके से बर्ताव नहीं करते. कई बार महिलाएं घरेलू हिंसा की भी शिकार हो जाती हैं. जब बच्चा अपनी आंखों से अपनी मां के साथ गलत बर्ताव देखता है तो वह अपने पिता को दुश्मन मानने लगता है. अक्सर लड़के अपने पिता से उनके इस बर्ताव के कारण बगावत करने लगते हैं. वहीं, अगर पैरेंट्स में झगड़ा रहता है तो इसका असर भी बच्चों की मानसिक सेहत पर पड़ता है और ऐसे बच्चों के अपने परिवार से रिश्ते कमजोर होने लगते हैं.  

4 से 8 सेशन के बाद ही जॉइंट थेरेपी का असर दिखने लगता है (Image-Canva)

खुद के बर्ताव में होता है सुधार
जब किसी व्यक्ति की अपने ही परिवार के सदस्य से नहीं बन रही होती तो वह स्ट्रेस में रहने लगता है. यह तनाव उसकी मेंटल हेल्थ के साथ-साथ सेहत को भी खराब करने लगता है. तनाव होने से उस व्यक्ति का मन किसी काम में नहीं लगता. लेकिन जब वह थेरेपी लेता है तो उसका स्ट्रेस दूर होने लगता है और जो भार उसके दिल पर होता है, वह उतर जाता है. इससे व्यक्ति का व्यवहार सुधरने लगता है और वह खुश रहने लगता है. 

जिंदगी के प्रति नजरिया बदलता है
जिंदगी का हर दिन नया होता है लेकिन कुछ लोग पुरानी दिनों को याद करते हुए ही जिंदा रहते हैं. कई बार कोई दुख, हादसा या किसी अपने का इस दुनिया से चले जाना पूरे परिवार को डिस्टर्ब कर देता है. जॉइंट थेरेपी दो लोगों के साथ-साथ परिवार की भी की जाती है. इसके कई सेशन चल सकते हैं. उन्हें पुराने यादों से निकालकर आज में जीने के लिए मोटिवेट किया जाता है. जॉइंट थेरेपी से जिंदगी के प्रति जीने का नजरिया बदलता है और परिवार के सदस्य पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ते हैं. 

Tags: Bollywood actors, Bollywood couple, Family dispute, Mental diseases, Mental Health Awareness, Relationship

FIRST PUBLISHED :

November 20, 2024, 16:54 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article