महाकुंभ स्नान में मां गंगा का विशेष स्थान है। महाकुंभ मेले के दौरान मां गंगा की पूजा की जाती है। साधु-संत अपनी तपस्या के बाद मुक्तिदायनी मां गंगा को नमन करने आते हैं और उन्हें अपने पुण्य प्रताप से उन्हें पवित्र करते हैं। ऐसे में नागा साधु भी मां गंगा की पूजा अर्चना और पवित्रता का ध्यान रखते हैं। उनके मन में मां गंगा के लिए अटूट विश्वास रहता है।
कब है दूसरा अमृत स्नान?
नागा साधु महाकुंभ में अपना डेरा जमाए हुए हैं। महाकुंभ में अमृत स्नान का खासा महत्व है। पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को हो चुका है। 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान आयोजित होगा। ऐसे में नागा साधुओं का पहला स्नान करने का हक दिया गया है। इसके बाद अन्य श्रद्धालुओं को स्नान का मौका मिलेगा। बता दें कि नागा साधु मां गंगा के प्रति अटूट आस्था रखते हैं। वे इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि उनकी पवित्रता को ठेस न पहुंचे
मां गंगा के प्रति अटूट आस्था
मां गंगा के प्रति नागा साधुओं की गहरी आस्था होती हैं। सभी नागा गंगा स्नान के समय उनकी पवित्रता का विशेष ख्याल रखते हैं। स्नान के दौरान उनके मैल या अन्य गंदगी नदी के पवित्र पानी में न चली जाए इसके लिए वह पहले अपने शिविरों में स्नान करके ही गंगा स्नान को जाते हैं। फिर नागा अपने शरीर पर भस्म रमाकर गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं। नागा साधु भस्म को भगवान शिव की पवित्रता के प्रतीक के रूप में लगाते हैं।