Agency:Local18
Last Updated:January 22, 2025, 12:29 IST
Agriculture news: गुजरात के भावनगर जिले में किसान पारंपरिक खेती छोड़ प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं. जैविक खाद और मिश्रित फसलों से किसानों को कम लागत में बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल रहा है.
गुजरात के भावनगर जिले में किसान पारंपरिक खेती से हटकर प्राकृतिक खेती को तेजी से अपना रहे हैं. यह बदलाव न केवल किसानों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि पर्यावरण और उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है. प्राकृतिक खेती के अंतर्गत किसान जैविक खाद और मिश्रित फसलों का सहारा ले रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कम लागत में बेहतर उत्पादन और बाजार में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग.
भावनगर के किसान बना रहे नई पहचान
भावनगर जिले में मूंगफली, कपास, और प्याज जैसी पारंपरिक फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं. लेकिन अब कई किसान बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं. नारियल, नींबू, और आम जैसी बागवानी फसलें किसानों को लाखों रुपये की आय प्रदान कर रही हैं. किसान प्राकृतिक खाद जैसे जीवामृत, बीजामृत, और ठोस जीवामृत का उपयोग कर उन्नत उत्पादन हासिल कर रहे हैं.
सफलता की कहानी
वल्लभीपुर तालुका के दरेड गांव में रहने वाले वाघानी अमरशीभाई ने 12वीं तक पढ़ाई की और इसके बाद खेती में कदम रखा. उन्होंने मिश्रित फसल के तौर पर केसर और नींबू की खेती शुरू की. पौधारोपण के बाद पूरी देखभाल प्राकृतिक तरीकों से की जाती है, जिसमें केवल जैविक खाद और कम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है. सात-आठ साल पहले लगाए गए नींबू के पौधे अब हर साल प्रति बीघा लगभग 40,000 रुपये का उत्पादन देते हैं.
मिश्रित खेती से आय में इजाफा
अमरशीभाई ने बताया कि मिश्रित फसल में उन्होंने सरगवा भी लगाया है, जो प्रति बीघा 30,000 से 40,000 रुपये तक की आय देता है. ये उत्पाद सूरत समेत अन्य शहरों में बेचे जाते हैं. पारंपरिक खेती में जहां लागत अधिक थी और लाभ सीमित, वहीं प्राकृतिक खेती और बागवानी ने उन्हें बेहतर मुनाफा दिया है.
किसानों और पर्यावरण के लिए लाभकारी
प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधार रही है, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रख रही है. जैविक खेती से तैयार अनाज, सब्जियां, और फल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, जिससे बाजार में इनकी मांग बढ़ रही है. भावनगर के किसान अब एक नई पहचान बना रहे हैं और दूसरों को भी प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
First Published :
January 22, 2025, 12:29 IST
पारंपरिक खेती छोड़कर अपनाया नया तरीका, अब ये किसान कर रहा बंपर कमाई