सर्व पितृ अमावस्या के दिन आज पितरों का विसर्जन है. आज के दिन आप उन सभी पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि कर सकते हैं, जिनके मृत्यु की तिथि पता नहीं है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का विसर्जन करते हैं क्योंकि धरती पर आए हुए पितर आज शाम को पितृ लोक वापस लौटते हैं. इसके साथ ही पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा. सर्व पितृ अमावस्या अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होती है. आज सर्व पितृ अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. इसके अलावा ब्रह्म और इंद्र योग भी हैं. आज के दिन कुछ उपायों को करके आप पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट लखनऊ के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पांडेय.
सर्व पितृ अमावस्या 2024 मुहूर्त और योग
अश्विन अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 1 अक्टूबर, मंगलवार, रात 9:39 बजे से
अश्विन अमावस्या तिथि का समापन: 2 अक्टूबर, बुधवार, देर रात 12:18 बजे पर
सर्वार्थ सिद्धि योग: दोपहर 12:23 बजे से कल सुबह 6:15 बजे तक
ब्रह्म योग: आज प्रात:काल से कल प्रात: 3:22 बजे तक
पितरों के लिए श्राद्ध का समय: आज, 11:30 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक
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ज्योतिषाचार्य पांडेय के अनुसार, मध्याह्ने श्राद्धम् कारयेत यानि पितरों का श्राद्ध कार्य मध्याह्न काल में ही करना चाहिए. इस साल पितृ विसर्जन सर्वपैत्री श्राद्ध की अमावस्या आज बुधवार को है. इस दिन आप सुबह में स्नान के बाद अज्ञात पितरों के लिए तर्पण करें. उसके बाद पितृ दोष शांति के लिए उपाय करें.
पितृ दोष शांति के उपाय
1. पीपल का पौधा
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ दोष की शांति के लिए आप पीपल का एक पौधा जरूर लगाएं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में देवों का वास होता है. पीपल के पेड़ के जड़ में
भगवान विष्णु का पूजन करें और गाय का दूध चढ़ाएं. इससे आपको लाभ होगा.
2. मंत्र पाठ
पितृ दोष शांति के लिए आपको गीता का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा आप चाहें तो रूद्राष्ट्राध्यायी के पुरुष सूक्त, रुद्र सूक्त और ब्रह्म सूक्त का पाठ भी कर सकते हैं.
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3. त्रिपिंडी श्राद्ध
अपने पितरों को खुश करने के लिए आप त्रिपिंडी श्राद्ध करा सकते हैं. इसके लिए आपको योग्य पंडित की आवश्यकता होगी.
4. पितरों के लिए जलाएं दीपक
श्राद्ध चिन्तामणि के अनुसार यदि आप किसी मरे हुए व्यक्ति का श्राद्ध 3 साल तक नहीं करते हैं तो उसकी आत्मा प्रेत योनि में प्रवेश कर जाती है. इस वजह से पितरों का मुक्ति श्राद्ध के माध्यम से कर देनी चाहिए. पितृ विसर्जन के दिन पितर विदा हों, उससे पहले दोपहर में ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान और दक्षिणा देकर विदा करें.
सूर्यास्त के बाद जब अंधेरा होने लगे तो अपने पितरों के लिए घी का दीपक जलाएं. इससे पितरों के जाने के मार्ग में अंधेरा नहीं होगा. इससे खुश होकर पितर आपको उन्नति का आशीर्वाद देंगे.
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FIRST PUBLISHED :
October 2, 2024, 06:02 IST