फुटकर धंधे को बना दिया 6500 करोड़ का बिजनेस, आग लगने से मिला आइडिया

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नई दिल्‍ली. कहते हैं सफलता के लिए बस एक आइडिया की जरूरत होती है. सफलता की यह कहानी भी ऐसे ही एक आइडिया से जुड़ी है. जहां कंपनी के फाउंडर ने एक फुटकर बिजनेस को अपने से हजारों करोड़ की कंपनी में बदल दिया. आज उनके प्रोडक्‍ट सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में नाम कमा चुके हैं. इस कंपनी ने सिर्फ 25 साल में ही एक धाड़क ब्रांड के रूप में खुद को स्‍थापित कर लिया है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं आरआर केबल के फाउंडर रामेश्‍वर लाल काबरा की. 1990 के दशक में काबरा दिल्‍ली में तार और केबल की सप्‍लाई किया करते थे. उनका थोक और रिटेल का कारोबार था. काम अच्‍छा चल रहा था, लेकिन एक घटना में उनके गोदाम में आग लग गई. वैसे तो इसमें कोई ज्‍यादा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन काबरा को इस बिजनेस को लेकर एक नया आइडिया जरूर मिल गया. उन्‍होंने सोचा कि तार-केबल के बिजनेस को सफल बनाने के लिए सुरक्षा मानकों पर पहले काम करना होगा.

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फिर शुरू किया खुद का प्रोडक्‍शन
आरआर ग्लोबल के मौजूदा प्रबंध निदेशक और समूह अध्यक्ष गोपाल काबरा का कहना है कि इस तरह 25 साल पहले तार और केबल के उत्‍पादन की शुरुआत हुई. आज हमारी कंपनी तार और केबल, स्विच, पंखे, लाइटिंग, स्विचगियर और अन्य उपकरण बनाए जाते हैं. इनका उपयोग आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक और बुनियादी ढांचा के क्षेत्रों में होता है. इसकी सफलता का श्रेय इसकी निरंतर कोशिश को जाता है कि वह भविष्यवादी डिजाइन और इंजीनियरिंग में उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान करने की परंपरा को आगे बढ़ाते रहेंगे.

27 करोड़ से शुरू हुआ था सफर
काबरा बताते हैं कि वर्ष 1986 हमारे लिए एक रोमांचक यात्रा की शुरुआत थी, जिसमें लगातार नवीनता लाने का प्रयास रहा. हमने वडोदरा में एक वाइंडिंग वायर निर्माण इकाई की स्थापना की इसके बाद 1991 में निर्यात के लिए राम रत्ना इंटरनेशनल की स्थापना की और एक साल के भीतर यह एक सरकारी मान्यता प्राप्त निर्यात कंपनी बन गई. शुरुआत में 27 करोड़ रुपये की पूंजी से शुरू हुई यह कंपनी आज 6,500 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है.

एक के बाद एक बढ़ता रहा कारवां
गोपाल काबरा कहते हैं कि इस सफलता ने हमें विस्तार करने के लिए प्रेरित किया और 1994 में दादरा व नगर हवेली में राम रत्ना वायर्स लिमिटेड के नाम से एक और वाइंडिंग वायर फैक्ट्री स्थापित की. 1999 में हमने आरआर काबेल लॉन्च किया और गुजरात के सिलवासा में वायर और केबल्स के निर्माण के लिए सबसे उन्नत सुविधा की स्थापना की. दो साल बाद, हम भारत में पहली बार इलेक्ट्रो-मैकेनिकल मल्टी-लेवल कार पार्किंग सिस्टम की अवधारणा को पेश करने वाले बने, जब हमने आरआर पार्कन लॉन्च किया.

900 डिग्री में भी चलता है वायर
काबरा का दावा है कि उनकी कंपनी के केबल और वायर जर्मन टेक्‍नोलॉजी पर आधारित हैं और कुछ प्रोडक्‍ट तो 900 डिग्री सेल्सियस का तापमान भी सहन करने में सक्षम हैं. आज 95% कारोबार वितरकों के माध्यम से होता है और 5% सीधे होता है. जहां तक बाजार वितरण की बात है, 72% घरेलू है और शेष निर्यात से आता है. कंपनी अभी 95 देशों में अपने खुद के ब्रांड के तहत निर्यात करती है और ऐसा करने वाली एकमात्र कंपनी है.

तार और केबल सबसे बड़े प्रोडक्‍ट
कंपनी के तार और केबल सेगमेंट कुल राजस्व में लगभग 87% का योगदान दे रहे हैं, जबकि निर्यात कुल राजस्व में लगभग 24% का योगदान कर रहा है. उन्‍होंने कहा कि आगे हम 20 फीसदी वृद्धि का लक्ष्‍य देख रहे हैं. घरेलू बाजार स्थिर है और इसमें काफी संभावनाएं हैं. हमने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 1,808 करोड़ रुपये का अराजस्व प्राप्त किया है. 2023 में शेयर बाजार में लिस्ट हुई कंपनी का शेयर आज 1,700 रुपये के ऊपर है, जबकि आईपीओ का भाव 1,035 रुपये था.

Tags: Success Story, Successful concern leaders, Womens Success Story

FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 14:59 IST

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