पत्र
कानपुर: कानपुर एक ऐतिहासिक शहर है, जिसने 1857 से 1947 तक चली स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया. कलम से लेकर तलवार तक, हर तरीके से कानपुर ने आजादी के संघर्ष में सहयोग किया. इस शहर से कई क्रांतिकारी कहानियां जुड़ी हुई हैं. विशेष रूप से 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर कानपुर और महात्मा गांधी के गहरे संबंध को याद किया जाता है. कानपुर के क्रांतिकारियों को संदेश देने के लिए महात्मा गांधी प्रचार करते थे. आज भी उनके द्वारा लिखे गए पत्र नाना राव पेशवा स्मारक में संजोकर रखे गए हैं।
संग्रहालय में संजोए गए हैंमहात्मा गांधी के पत्र
क्रांति के समय पत्र संदेश पहुंचाने का सबसे प्रमुख साधन थे. क्रांतिकारी नेता अपने संदेश पत्रों के माध्यम से जनता तक पहुंचाते थे. उस दौरान कानपुर से कई समाचार पत्र भी प्रकाशित होते थे, जिनमें महात्मा गांधी भी अपने लेख भेजते थे. इसके साथ ही, वह कानपुर के लोगों को पत्र लिखकर अपने संदेश भेजते थे. ये पत्र आज भी बिठूर के नाना राव पेशवा स्मारक में बने संग्रहालय में सुरक्षित रखे गए हैं. महात्मा गांधी के ये पत्र बहुत पुराने हैं, लेकिन उन्हें बेहद ध्यानपूर्वक संरक्षित किया गया है ताकि कानपुर से गांधी जी की यादें हमेशा जुड़ी रहें.
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महात्मा गांधी न केवल एक क्रांतिकारी नेता थे, बल्कि एक बैरिस्टर भी थे. उनके कुछ विधिक दस्तावेज और सामग्रियां भी इस संग्रहालय में संरक्षित हैं. यहां उनके लिखे हुए विधि प्रपत्र भी रखे हुए हैं, जो कानपुर के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को और भी गहराई से समझने में मदद करते हैं.
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने रखा है सुरक्षित
यह संग्रहालय उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित है, क्योंकि इसमें कानपुर की कई ऐतिहासिक धरोहरें संजोई गई हैं. महात्मा गांधी के हस्तलिखित पत्रों के साथ-साथ यहां झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ी कई वस्तुएं भी रखी गई हैं, जो संग्रहालय को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं. दूर-दूर से लोग इस संग्रहालय में इन ऐतिहासिक वस्तुओं को देखने के लिए आते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 2, 2024, 09:57 IST