Demands ISKCON Ban successful Bangladesh: पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) को लेकर तनाव काफी बढ़ गया है. जिसके चलते इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांगें उठ रही हैं. 5 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद, बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर उन पहले हिंदू स्थलों में से एक था, जिन पर उपद्रवियों ने हमला किया था. इस्कॉन को निशाना बनाना राजनीतिक चालबाजी और बांग्लादेश में बढ़ती इस्लामी भावनाओं का परिणाम लगता है.
कट्टर इस्लामिक संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने तो कुछ दिनों पहले जुमे की नमाज के बाद इसके खिलाफ बाकायदा एक रैली निकाली. इसके दौरान नारे लगाए गए कि इस्कॉन मंदिर के भक्तों को पकड़ो और उनका कत्ल करो. इसके अलावा प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि इस्कॉन मंदिर पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो वो और बड़ा आंदोलन करेंगे.
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हसीना के देश छोड़ने के बाद शुरू हुआ उपद्रव
शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद जब देश में अशांति फैली तो बांग्लादेश के खुलना डिवीजन के मेहरपुर में स्थित एक इस्कॉन मंदिर को तोड़ा गया और आग लगा दी गई. जाहिर तौर पर यह शेख हसीना के पद से हटने के बाद राजनीतिक उथल-पुथल थी. लेकिन इस बदलाव के बाद विभिन्न समूह अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. इनमें कट्टरपंथी इस्लामी गुट भी शामिल हैं. हसीना के बाद आई यूनुस सरकार इस्लामी गुटों को खुश करने के लिए उन्हें इस्कॉन को निशाना बनाने दे रही है. इससे इस्लामी गुटों को हिंदू समुदाय की असंतुष्ट आवाजों के खिलाफ अपनी ताकत दिखाने का मौका भी मिला.
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क्यों किया जा रहा इस्कॉन को टारगेट
बांग्लादेश में इस्कॉन पर हिंसा भड़काने और राजनीतिक पार्टी से जुड़े होने के आरोप लगाए गए हैं. राजनीतिक पार्टी भी कोई और नहीं, बल्कि अवामी लीग है, जिसकी अगुआई पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना करती थीं. अवामी लीग का देश में सक्रिय कई कट्टरपंथी समूह विरोध करते हैं. सोशल मीडिया पर #BanISKCON और #ISKCONisTerrorist जैसे हैशटैग के साथ अभियान चलाए जा रहे हैं. इसमें इस संगठन को खतरे के रूप में पेश किया जा रहा है और इन पर प्रतिबंध की मांग की जा रही है. इस अभियान ने तब और जोर पकड़ लिया जब धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान इस्कॉन के सदस्यों के साथ हिंसक घटनाएं हुईं.
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यह एक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा
इस्कॉन को निशाना बनाना सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक मुद्दा भी है. बांग्लादेश सनातन जागरण मंच, जिसमें इस्कॉन के सदस्य भी शामिल हैं, ने हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ बड़े पैमाने पर रैलियां आयोजित कीं. हिंदुओं में बढ़ती असुरक्षा सरकार का इस्कॉन पर कार्रवाई करना हिंदू अधिकारों और उनकी पहचान को दबाने का प्रयास माना जा रहा है, जो इस्लामी संगठनों के बढ़ते दबावों के बीच हो रहा है. इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का मनोबल गिर सकता है. यही नहीं उनके अधिकारों के बारे में चुप्पी साधने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है. हिंदू समुदाय के नेता चिंतित हैं कि ऐसे कदमों से उनका और अधिक हाशिए पर जाना तय है और उनके खिलाफ हिंसा बढ़ सकती है.
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बढ़ सकता है सामुदायिक तनाव
इस्कॉन के खिलाफ आरोपों से बांग्लादेश में और अधिक अशांति फैल सकती है. क्योंकि कट्टरपंथी समूह इस स्थिति का उपयोग हिंदू संस्थानों के खिलाफ प्रदर्शन और हिंसा को सही ठहराने के लिए कर सकते हैं. इस प्रतिशोध के चक्र से पहले से ही अस्थिर माहौल में सामुदायिक तनाव और बढ़ सकता है. इस्कॉन की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को देखते हुए, इसके खिलाफ किसी भी सरकारी कार्रवाई से बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार पर वैश्विक ध्यान आकर्षित हो सकता है. इसके कूटनीतिक परिणाम होंगे और देश में अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए वकालत करने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है.
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बांग्लादेश में कितने इस्कॉन मंदिर
इस्कॉन का बांग्लादेश में अच्छा खासा नेटवर्क हैं. इनके मंदिरों का जाल पूरे देश में फैला हुआ है. इस्कॉन के मंदिर ढाका, मेमनसिंह, राजशाही, रंगपुर, खुलना, बारिसाल, चटोग्राम और सिलहट में हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन को मानने वालों की संख्या काफी बड़ी है. जिस संगठन के बांग्लादेश में इतने ज्यादा मंदिर हैं तो उसकी खासी संपत्ति भी होगी. इस्कॉन में किसी भी आपदा के समय राहत का काम करता रहा है. इस बार भी बाढ़ पीड़ितों के लिए उसने राहत शिविर लगाए थे.
Tags: Bangladesh news, Hindu Organization, Hindu Temple Attacked, Sheikh hasina
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 16:34 IST