Agency:News18 Jharkhand
Last Updated:February 12, 2025, 10:44 IST
Jamshedpur News: जमशेदपुर के इस शख्स के पास रेडियो कलेक्शन के भरमार है. उनका रेडियो प्रेम बचपन से शुरू हुआ, और आज उनके पास भारत से लेकर जापान, बेलारूस तक के रेडियो हैं.
रेडियो
हाइलाइट्स
- चिन्मय महतो के पास 655 तरह के रेडियो का संग्रह है।
- चिन्मय महतो हर साल वर्ल्ड रेडियो डे पर प्रदर्शनी लगाते हैं।
- चिन्मय महतो का रेडियो प्रेम बचपन से शुरू हुआ।
जमशेदपुर. आज के समय में रेडियो धीरे-धीरे लोगों की जिंदगी से दूर होता जा रहा है. अधिकतर लोग सिर्फ गाड़ी में एफएम रेडियो सुनते हैं, लेकिन अगर पारंपरिक रेडियो की बात करें, तो अब शायद ही किसी घर में उसकी आवाज़ गूंजती हो. हालांकि, जमशेदपुर के कदमा उल्याण इलाके में रहने वाले 65 वर्षीय चिन्मय महतो आज भी रेडियो के बड़े शौकीन हैं. उनके इस जुनून का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने घर में 655 तरह के रेडियो संजोकर रखे हैं.
कैसे हुआ रेडियो से प्रेम?
चिन्मय महतो पेशे से वकील हैं, लेकिन रेडियो का संग्रह करना उनका खास शौक है. उनके इस लगाव की शुरुआत बचपन में हुई, जब उनके पिता भारतीय वायुसेना (एयरफोर्स) में कार्यरत थे. साल 1945 में जब उनके पिता घर लौटे, तो वे अपने साथ जापान निर्मित सोनी ट्रांजिस्टर लेकर आए. उस समय रेडियो से मनोरंजन का मुख्य साधन हुआ करता था और लोग बड़ी संख्या में इसे सुनने के लिए इकट्ठा होते थे. उस दौर में केवल आकाशवाणी कोलकाता का प्रसारण उपलब्ध था, और जब भी उनके पिता रेडियो चलाते थे, तो सैकड़ों लोग उसे सुनने के लिए इकट्ठा हो जाते थे. लोगों का यह उत्साह देखकर चिन्मय भी रेडियो के प्रति आकर्षित हो गए.
धीरे-धीरे उन्होंने विविध भारती और रेडियो सीलोन सुनना शुरू किया. उस समय फरमाइशी गाने पोस्टकार्ड के जरिए भेजे जाते थे. जब रेडियो पर उनके नाम से गाने बजाए गए, तो लोग उन्हें पहचानने लगे और उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई.
रेडियो संग्रह का सफर
चिन्मय ने 1975 में पहला रेडियो नल्को बाय टाटा कंपनी का खरीदा, जिसकी कीमत 125 रुपए थी. उस समय रेडियो खरीदने के लिए 10 रुपए का लाइसेंस लेना पड़ता था, जो एक वर्ष के लिए मान्य होता था. इसके बाद उन्होंने रेडियो के बारे में गहराई से समझना शुरू किया और कई क्विज प्रतियोगिताओं में भाग भी लिया.
वर्ष 1995 में जर्मनी से उन्हें \”द वॉयस ऑफ जर्मनी\” डिजिटल रेडियो उपहार स्वरूप मिला, साथ ही 10 मैगज़ीन, जिनमें जर्मनी का इतिहास लिखा था. इससे उनका रेडियो प्रेम और गहरा हो गया.
एक बार वे बाजार में घूम रहे थे, तब उन्होंने देखा कि एक कबाड़ी वाला एक पुराने रेडियो को हथौड़े से तोड़ रहा था. यह देखकर उनकी आंखें नम हो गईं और उन्होंने 100 रुपए देकर वह रेडियो खरीद लिया. तभी से उन्होंने पुराने रेडियो इकट्ठा करने का संकल्प लिया और धीरे-धीरे उनका संग्रह बढ़ता चला गया.
655 रेडियो का अनोखा संग्रह
आज चिन्मय महतो के पास 655 तरह के रेडियो हैं, जिनमें भारत के अलावा जापान, रोमानिया, बेलारूस, इंडोनेशिया और फ्रांस जैसे देशों के रेडियो भी शामिल हैं. उनके पास 1957 में बनी बुश कंपनी का सबसे पुराना रेडियो भी है. उनके संग्रह में फिलिप्स, बुश, बीपीएल, नेल्को, पैनासोनिक जैसी नामी कंपनियों के रेडियो मौजूद हैं.
वर्ल्ड रेडियो डे पर विशेष प्रदर्शनी
हर साल 13 फरवरी को “वर्ल्ड रेडियो डे” मनाया जाता है. इस मौके पर चिन्मय महतो अपने अनोखे रेडियो संग्रह को लोगों के सामने प्रदर्शित करते हैं. इस वर्ष भी उनके घर कदमा उल्याण, 21/A निर्मल महतो रोड में 13 से 20 फरवरी तक रेडियो प्रदर्शनी लगाई जाएगी. अगर आप भी रेडियो प्रेमी हैं और पुराने रेडियो की दुनिया को करीब से देखना चाहते हैं, तो इस अनोखी प्रदर्शनी का हिस्सा जरूर बनें.
Location :
Jamshedpur,Purbi Singhbhum,Jharkhand
First Published :
February 12, 2025, 10:44 IST
बाप रे बाप! कलेक्शन का ऐसा प्यार, जमशेदपुर के इस शख्स के पास रेडियो की खदान