Last Updated:January 11, 2025, 23:58 IST
Ranchi News : रांची में महिलाओं और युवतियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. हाल ही में एक ऑटो सवार ने छात्रा के साथ छेड़छाड़ की, जिससे सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. जानें इन सब पर महिलाओं का क्या कहना...और पढ़ें
रांची. झारखंड की राजधानी में आए दिन महिलाओं और युवतिओं के साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं देखने को मिल रही है. अभी दो हफ्ते पहले ही स्कूटी पर सवार एक युवक ने स्कूल जाती एक लड़की को छेड़ा था, यह मामला शांत भी नहीं हुआ कि एक और छेड़खानी का मामला सामने आया है. रांची के बीचों-बीच सहजानंद चौक पर एक ऑटो सवार ने नौवीं की छात्रा के साथ छेड़छाड़ की.
छात्रा की मां ने डोरंडा थाना में फआईआर रिपोर्ट भी दर्ज कराया और आरोपी को पकड़ लिया गया है. छात्रा की मां ने बताया- “स्कूल जाने के लिए ऑटो में बैठी और बीच रास्ते में ऑटो वाले ने मेरी बेटी के साथ छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया. वह उस समय ऑटो में अकेली थी. बाकी लोग उतर चुके थे.” ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि राजधानी रांची में आखिर महिलाएं, लड़कियां कितनी सुरक्षित हैं?
‘मौत की सजा मिलना चाहिए’
कडरु निवासी दीपिका बताती हैं, जो भी महिलाओं के साथ या फिर लड़कियों के साथ छेड़खानी करता है. उसे सीधे मौत की सजा मिलनी चाहिए. इससे नीचे कोई सजा होनी ही नहीं चाहिए. सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन लोगों को इतनी हिम्मत हो कैसे रही है. आखिर कहीं न कहीं उनके भीतर डर नहीं है, तभी वह ऐसा कर रहे हैं. जब तक सख्त सजा नहीं होगी, उनके मन में खौफ नहीं होगा, तब तक यह घटना होती रहेगी.
हरमू निवासी प्रीति बताती हैं- “मैं खुद एक स्कूल में टीचर हूं और हर दिन सुबह में चौक पर आती हूं. कई बार कुछ मनचले कुछ भी बोल कर निकल जाते हैं, और हम कुछ नहीं कर पाते. ऐसे में महिला सुरक्षा को लेकर खासकर हम लड़कियों और जो छोटी बच्चियां हैं, वह कुछ नहीं कर पातीं. कुछ बोल नहीं पाती. क्योंकि, उन्हें कई बार समझ में भी नहीं आता कि उनके साथ हुआ क्या है. ऐसे में छोटी लड़कियों को खासतौर पर इन सब चीजों के बारे में एजुकेट भी करना होगा.”
ऑटो में चलना है मुश्किल
किशोरगंज निवासी प्रतिभा बताती हैं- “ऑटो में चलना बहुत मुश्किल होता है. क्योंकि कई बार एक ऑटो में 5-6 लड़के या फिर आदमी होते हैं और उस बीच मजबूरी में, अगर मैं अकेली महिला हूं तो बैठकर जाना ही पड़ता है, और कई बार ऑटो में अश्लील गाने भी बजते हैं, तो असहज महसूस होता है. क्योंकि, ऑटो में अगर आप अकेली महिला हैं तो कुछ बोल भी नहीं सकती.”
डोरंडा निवासी नीलिमा देवी बताती हैं- “मेरे घर में बच्चियां हैं और बहुत डर लगता है. जब घर से बाहर निकलती हैं तो फोन करती हूं या फिर थोड़ा भी लेट होता है तो मन घबराता है. हम खुद घर से बाहर निकलते हैं तो आसपास देखना पड़ता है. डर का माहौल है, एकदम सुरक्षित नहीं है. समझ में नहीं आता उनके पास इतनी हिम्मत कहां से आती है, और इसका एक ही कारण है कि प्रशासन टाइट नहीं है, और कोई सख्त सजा नहीं मिल रही है.”