ब्रिटेन में 43 लाख रुपये तक में बेची जा रही थी "नगा मानव की खोपड़ी", भारत ने किया हस्तक्षेप; जानें पूरा मामला

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नगा साधु (प्रतीकात्मक)- India TV Hindi Image Source : AP नगा साधु (प्रतीकात्मक)

लंदनः ब्रिटेन में नगा मानवों की खोपड़ी की ऑनलाइन बिक्री ने सबको हैरान कर दिया है। यहां के एक नीलामी गृह में ‘नगा मानव खोपड़ी’ को ‘लाइव ऑनलाइन बिक्री’ की जा रही थी। सूचना मिलने पर भारत की ओर से इस कड़ी आपत्ति जताई गई। इसके बाद अब नगा मानव की खोपड़ी को ऑनलाइन बिक्री की सूची से हटा लिया है। नीलामी गृह ने इस मुद्दे पर भारत के विरोध के बाद यह कदम उठाया है।

बता दें कि ब्रिटेन में ऑक्सफोर्डशायर के टेस्ट्सवर्थ में स्वॉन नीलामी गृह के पास उसके ‘द क्यूरियस कलेक्टर सेल, एंटीक्वेरियन बुक्स, मैनुस्क्रिप्ट्स एंड पेंटिंग्स’ के तहत दुनियाभर से प्राप्त खोपड़ियों और अन्य अवशेषों का संग्रह है। ‘19वीं शताब्दी की सींग युक्त नगा मानव खोपड़ी, नगा जनजाति’ को बिक्री के लिए सूची में लॉट नंबर 64 पर रखा गया था। इसकी बिक्री को लेकर नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने विरोध जताया था और विदेश मंत्री एस.जयशंकर से इस बिक्री को रोकने में दखल की मांग की थी। इसके बाद भारत ने अपना विरोध दर्ज कराया और इसकी बिक्री को रोक दिया गया।

43 लाख रुपये तक थी एक खोपड़ी की कीमत

ब्रिटेन में जिस नगा मानव की खोपड़ी को ऑनलाइन बेचा जा रहा था, उसकी न्यूनतम कीमत 2.30 लाख से 43 लाख रुपये तक थी। रियो ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘ब्रिटेन में नगा मानव खोपड़ी की नीलामी के प्रस्ताव की खबर ने सभी वर्ग के लोगों पर नकरात्मक असर डाला है, क्योंकि हमारे लोगों के लिए यह बेहद भावनात्मक और पवित्र मामला है। दिवंगत लोगों के अवशेषों को सर्वोच्च सम्मान और आदर देने की हमारे लोगों की पारंपरिक प्रथा रही है।’’ फोरम फॉर नगा रिकॉन्सिलीएशन (एफएनआर) द्वारा इस मामले को लेकर चिंता जताने के बाद रियो ने विदेश मंत्री से यह मामला लंदन में भारतीय उच्चायोग के समक्ष उठाने का अनुरोध किया। ताकि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया जा सके कि खोपड़ी की नीलामी रोकी जा सके।

नीलामी यूएन के नियमों का उल्लंघन

ब्रिटेन की इस ऑनलाइन नीलामी सूची में नगा मानव खोपड़ी की तस्वीर के नीचे लिखा था, ‘‘यह कृति मानवशास्त्र और जनजातीय संस्कृतियों पर ध्यान केंद्रित करने वाले संग्रहकर्ताओं के लिए विशेष रुचिकर होगी’’। नीलामी के लिए शुरुआती राशि 2,100 जीबीपी (ग्रेट ब्रिटिश पाउंड) (करीब 2.30 लाख रुपये) रखी गई थी और नीलामीकर्ताओं को इसके 4,000 जीबीपी (करीब 43 लाख रुपये) में बिकने की उम्मीद थी। इसका उत्पत्ति का पता 19वीं शताब्दी के बेल्जियम के वास्तुकार फ्रेंकोइस कोपेन्स के संग्रह से चलता है। एफएनआर ने जोर देकर कहा कि मानव अवशेषों की नीलामी संयुक्त राष्ट्र द्वारा जातीय मूल के लोगों के अधिकारों की घोषणा (यूएनडीआरआईपी) के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है, ‘‘जातीय मूल के लोगों को अपनी संस्कृतियों, परंपराओं, इतिहास और आकांक्षाओं की गरिमा और विविधता को बनाए रखने का अधिकार है, जिसे शिक्षा और सार्वजनिक सूचना में उचित रूप से प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए।’’

नगा की खोपड़ी को भारत वापस भेजने की मांग

बारत ने एफएनआर ने नीलामी घर से सीधे संपर्क कर बिक्री की निंदा की और वस्तु को नगालैंड वापस भेजने की मांग की। यह संगठन दुनिया भर के कई जातीय मूल के समूहों में से एक है। संगठन वर्तमान में ऑक्सफोर्ड में पिट रिवर्स संग्रहालय के संग्रह में रखी कलाकृतियों के बारे में उसके साथ बातचीत कर रहा है। संग्रहालय की निदेशक लॉरा वैन ब्रोकहोवेन ने ‘बीबीसी’ को बताया कि इनमें से कुछ वस्तुओं की नीलामी होने से वह ‘‘नाराज’’ हैं। ब्रोकहोवेन ने कहा, ‘‘इन वस्तुओं को ले लिया गया और उन्हें बिक्री के लिए रखा गया, यह तथ्य वास्तव में दुखद, अपमानजनक और अविवेकपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि ये अवशेष 19वीं और 20वीं शताब्दी में एकत्र किए गए होंगे, लेकिन 2024 में उनकी बिक्री होना काफी चौंकाने वाला है।’’ स्वॉन नीलीमी गृह से इस बारे में टिप्पणी के लिए संपर्क किया गया है। (भाषा) 

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