लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में बने मां नागणेचीजी माता के मंदिर
बीकानेर:- बीकानेर का इतिहास अपने आप में अनूठा है. यहां ऐसे कई मंदिर हैं, जिनकी गाथा आज भी पूरे राजस्थान में प्रचलित है. यहां एक ऐसा ही माता का मंदिर है, जिनकी मूर्ति को ताले में बंद करके रखा जाता है और भक्त बंद ताले में माता के दर्शन करते हैं और उनकी पूजा करते हैं. हम बात कर रहे हैं लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में बने मां नागणेचीजी माता के मंदिर की. यहां रोजाना सैकड़ों भक्त दर्शन करने आते है.
बीकानेर के महाराजा करते थे पूजा
पुजारी यश देराश्री ने Local 18 को बताया कि नवरात्र के दिनों में यहां भक्त जो भी मनोकामना मांगते हैं, वो पूरी होती है. इस मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर में माता की पूजा बीकानेर के महाराजा और संस्थापक राव बीकाजी द्वारा की जाती थी. वे रोजाना माता की पूजा करते थे. मां नागणेचीजी की मूर्ति राव बीकाजी जोधपुर से लाए थे, उसके बाद यहां लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर में स्थापना करके पूजा अर्चना शुरू की. उस समय महाराज राव बीकाजी माता की मूर्ति को ताले में बंद करते थे, जो आज भी बंद ताले में है. पुजारी ने बताया कि सुबह व शाम पूजा करते समय ताला खोला जाता है और पूजा अर्चना करके ताले को बंद कर दिया जाता है. इसके बाद भक्त बंद ताले में माता के दर्शन करते हैं.
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अनोखी है माता के स्थापना की कहानी
पुजारी यश ने लोकल 18 को आगे बताया कि जब राव बीकाजी नया राज्य बनाने के लिए जोधपुर से निकले थे, तब वे जोधपुर से एक छोटी मूर्ति मां नागणेचीजी की लेकर रवाना हो गए थे. उस समय राव बीकाजी का घोड़ा यहां रुक गया था. इसके बाद राव बीकाजी ने करणी माता जी को याद किया और कहा कि यह घोड़ा आगे नहीं बढ़ रहा है. ऐसे में करणी माता का आशीर्वाद लेकर यहीं पर बीकानेर बनाया और रहना शुरू कर दिया. इसके बाद माता का मंदिर बनाया. पुजारी ने बताया कि बीकाजी के भाई की आपस में मनमुटाव और लड़ाई थी. उनको भय था कि लड़ाई के दौरान कहीं उनका भाई मूर्ति को वापस ना ले जाए, इसलिए वे मां नागणेचीजी की मूर्ति को ताले में बंद रखते थे.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 12:33 IST
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