कच्छ: गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में पशुपालन ने आर्थिक क्रांति ला दी है. यहां के गड़ेरिये पारंपरिक खेती के साथ-साथ गाय और भैंस पालन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. खासतौर पर कच्छ के किसान अब भैंस पालन की ओर ज्यादा रुझान दिखा रहे हैं, क्योंकि इसकी आय स्थिर और लाभकारी है. यहां की बन्नी नस्ल की भैंसें, जो अपनी दूध उत्पादन क्षमता और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं, किसानों के लिए वरदान साबित हो रही हैं. ये भैंसें लाखों रुपये में बिकती हैं, जिससे पशुपालकों को शानदार मुनाफा हो रहा है.
चोबारी गांव के दिलीपभाई की खास भैंस
कच्छ जिले के भचाऊ तालुका के चोबारी गांव में रहने वाले दिलीपभाई आहीर ने पशुपालन को मुख्य व्यवसाय के रूप में अपनाया है. उनके पास 15 भैंसें हैं, जिनमें से कई बन्नी नस्ल की हैं. यह नस्ल अपने उच्च दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है. दिलीपभाई की बन्नी भैंसें रोजाना 15 लीटर तक दूध देती हैं. इस दूध की बिक्री से दिलीपभाई ने लाखों रुपये की कमाई की है. उनकी सफलता कई अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है.
बन्नी भैंस को मिला नेशनल बफेलो का दर्जा
कच्छ जिले की बन्नी नस्ल की भैंसों को उनकी गुणवत्ता और उत्पादकता के कारण “नेशनल बफेलो” का दर्जा मिला है. यह कच्छ के गड़ेरियों और किसानों के लिए गर्व की बात है. इस दर्जे के बाद बन्नी भैंसों की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है. आज इन भैंसों की कीमत 1 लाख से 10 लाख रुपये तक होती है.
2.50 लाख रुपये की भैंस से लाखों की कमाई
दिलीपभाई आहीर की बन्नी नस्ल की भैंसें, जिनकी कीमत 2.50 लाख रुपये तक है, उन्हें दूध उत्पादन से शानदार मुनाफा हो रहा है. देशभर से लोग इस नस्ल की भैंसें खरीदने और उनकी देखभाल के तरीके जानने चोबारी गांव आते हैं.
भाई भैंस नहीं, ये तो है ‘कुबेर का खजाना’, रोजाना 20 लीटर दूध और हर महीने 45,000 की कमाई!
बन्नी भैंस की बढ़ती डिमांड
कच्छ की बन्नी भैंसें अपनी दूध उत्पादन क्षमता और उच्च गुणवत्ता के कारण देशभर में मशहूर हो चुकी हैं. आज भी यह नस्ल पशुपालकों के बीच लोकप्रिय है और उनकी आर्थिक समृद्धि में अहम योगदान दे रही है.
Tags: Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
November 17, 2024, 18:01 IST