नई दिल्ली:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की रविवार को समीक्षा की और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया. सूत्रों ने यह जानकारी दी. अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपनी चुनावी रैलियां रद्द करके लौटने के तुरंत बाद यह बैठक की.
सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने उच्च सुरक्षा अधिकारियों के साथ मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और उन्हें शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब मणिपुर में महिलाओं और बच्चों के शव बरामद होने के बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसा के कारण स्थिति अस्थिर बनी हुई है. मणिपुर पिछले साल मई से ही जातीय संघर्ष से जूझ रहा है.
मणिपुर में हाल ही में छह लोगों के शव बरामद किए गए हैं, जिनके बारे में माना जा रहा है कि उन्हें उग्रवादियों ने अगवा कर लिया था. सूत्रों ने बताया कि बैठक में मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की गई. कल गृह मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक और बैठक बुलाई गई है.
मणिपुर में पिछले करीब 18 महीनों से हिन्दू मैतेई बहुसंख्यक समुदाय और ईसाई कुकी समुदाय के बीच समय-समय पर झड़पें होती रही हैं. इससे राज्य जातीय क्षेत्रों में बंट गया है.
शवों में से तीन को शुक्रवार को जिरीबाम में नदी से निकाला गया जबकि तीन और शव शनिवार को मिले. संदेह है कि यह मैतेई समुदाय के लोग हैं जो पिछले सप्ताह कुकी विद्रोहियों और मणिपुर पुलिस के बीच गोलीबारी के बाद जिरीबाम जिले में लापता हो गए थे.
शव मिलने की खबर से गुस्साई भीड़ ने राज्य के मंत्रियों के घरों पर हमला कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को राजधानी इंफाल में टायर जलाए और सड़कें जाम कर दीं. इस पर राज्य सरकार ने कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के कारण शहर के एक हिस्से में कर्फ्यू लगा दिया है.
राज्य के गृह मंत्रालय ने मणिपुर में हालिया अशांति को नियंत्रण में लाने के लिए दो दिनों के लिए सभी इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को बंद करने का आदेश दिया है.
एक नोटिस में कहा गया है, "असामाजिक तत्व लोगों की भावनाओं को भड़काने वाली तस्वीरें, अभद्र भाषा और नफरत भरे वीडियो संदेश प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है."
सरकार के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल मणिपुर में हिंसा के दौर में महीनों तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं. राज्य में करीब 60 हजार लोग विस्थापित हो गए. राज्य के हजारों निवासी इमरजेंसी शेल्टरों में रह रहे हैं. वे अभी तक जारी तनाव के कारण अपने घरों में नहीं लौट पा रहे हैं.