दुनिया में इंसान के आने के बाद से लगातार उनके बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. हजारों-लाखों सालों से हर एक समूह दूसरे की तुलना में खुद को श्रेष्ठ बताता है. ये श्रेष्ठता धीरे-धीरे धार्मिक और नस्लीय पहचान की ओर बढ़ती गई. नतीजा यह हुआ कि आधुनिक युग में बीते करीब 100 साल से दुनिया अपनी-अपनी धार्मिक श्रेष्ठता और पहचाने के लिए कत्लेआम पर उतारू है. अब बात इस्लाम और इससे मिलते-जुलते धर्मों की ही कर लेते हैं.
दरअसल, उत्पति के आधार पर इस दुनिया में दो तरह के धर्म हैं. एक को भारतीय उपमहाद्वीप में पनपने वाले धर्मों की श्रेणी में रखा जाता है. इसमें हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध को रखा जाता है. इनकी जड़ कहीं न कहीं भारत की धरती से जुड़ी हुई है. इस कारण इनमें कई सारी समानताएं हैं. इन धर्मों की उत्पति उस वक्त के प्रचलित धर्म की कमियों को दूर करने के लिए उद्देश्य से हुई. धर्मों की दूसरी श्रेणी को इब्राहिमी धर्म कहा जाता है. इस श्रेणी में इस्लाम के साथ ईसाई और यहूदी धर्म आते हैं. इन तीनों धर्मों की जड़े कहीं ने कहीं पैगंबर इब्राहिम हजरत से जुड़ी हुई हैं. इन तीनों धर्मों के लोग केवल एक ईश्वर को मानते हैं. उनका कहना है कि अल्लाह के अलावा किसी की इबादत नहीं की जा सकती. इस कारण इन तीनों धर्मों में कई चीजें कॉमन हैं. जबकि भारत में पनपे धर्मों में एक से अधिक ईश्वर की अवधारणा है. इनमें मूर्ति पूजा की जाती है.
क्यों कराते हैं खतना
खैर अब आते में मुद्दे पर. इस्लाम में खतना की अहमियत काफी ज्यादा है. खतना के दौरान मर्द के लिंग के अलगे हिस्से की स्कीन हटा दी जाती है. ऐसी मान्यता है ऐसा करने के बाद ही एक मर्द सच्चा मुसलमान बनता है. इस्लाम और यहूदी धर्म की परंपराएं काफी हद तक एक हैं. इसलिए इन दोनों धर्मों के लोग खतना करवाते हैं.
हालांकि आधुनिक समय में इस खूब चर्चा होती है. myjewishlearning.com की एक पोस्ट पर सवाल किया गया है कि खतना करवाने से ही एक मर्द सच्चा यहूदी बनता तो फिर ईश्वर ने ऐसा करके ही क्यों नहीं इंसान को धरती पर भेजा. इसका जवाब कुछ इस तरह दिया गया है. ऐसे लोगों को एयरप्लेन में भर दीजिए. फिर पूछिए अगर ईश्वर चाहता था कि इंसान हवा में उड़े तो फिर उसने उसको पंख क्यों नहीं लगाकर भेजा. ऐसे में यहूदी धर्मगुरुओं का कहना है कि खतना करवाना ईश्वर के आदेश का पालन करना है. इससे पता चलता है कि आप कितना ईश्वर की बात मानते हैं. इस बारे में बाइबल में लिखा गया है कि खतना करना अब्राहम की इच्छा थी.
पुरानी परंपरा
आज दुनिया बदल गई है. दुनिया में यहूदियों की आबादी बहुत कम रह गई है. ये मुख्य रूप से इजरायल में रहते हैं. इस मुल्क की स्थापना के वक्त से ही इसका अरब देशों के साथ जंग चल रहा है. इस जंग में अब तक लाखों यहूदियों और मुसलमानों की मौत हो चुकी है. इस कारण आधुनिक यहूदी लोगों में खतना की परंपरा कम हो गई है. इस्लाम से बढ़ती दूरी इसका मुख्य कारण है. वह खुद को मुसलमानों से अलग दिखाना चाहते हैं. इस कारण खतना कराने का प्रचलन धीरे-धीरे कम हो गया है.
बीते साल अक्टूबर में हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद भड़के युद्ध में अब तक 50 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. इजरायली जनता दुनिया के अधिकतर मुस्लिम लोगों की नजर में खलनायक बन चुकी है. वे इस वक्त दुनिया में एक दूसरे के सबसे कट्टर दुश्मन हैं. मगर, विडंबना यह है कि इन दोनों धर्मों की उत्पति एक जगह से हुई थी. दोनों के विचार भी काफी हद तक मिलते जुलते हैं. फिर ये दोनों एक दूसरे से लड़ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 15:01 IST